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उत्तराखण्ड

नैनीताल में शत्रु संपत्ति से हटाए गए अतिक्रमण के स्थान पर कराहने और रोने और चीखने की आवाज से क्षेत्रवासियों का जीना दुभर कर दिया

रिपोर्टर भुवन सिंह ठठोला

नैनीताल में शत्रु सम्पत्ति से हटाए गए अतिक्रमण के स्थान से रात के अंधेरे में कराहने, रोने और चीखने की अफवाह ने क्षेत्रीय लोगों का जीना दूभर कर दिया है। हमने रात ढाई बजे तक कैमरे लगाकर सच जानने की कोशिश की, लेकिन वो कोरी अफवाह निकली।
नैनीताल में शत्रु सम्पत्ति मैट्रोपोल होटल की डिप्टी कस्टोडियन और जिलाधिकारी के निर्देश पर जॉइंट डिप्टी कस्टोडियन और एस.डी.एम.राहुल साह ने अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुनने के बाद 19 से 20 जुलाई तक अतिक्रमणकारियों से क्षेत्र को खाली करने को कहा था। इसके बाद उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद कुछ अतिक्रमणकारियों ने खुद तो कुछ अतिक्रमणकर्ताओं के मकान प्रशासन ने दस जे.सी.बी.मशीन लगाकर तुड़वा दिए थे। ये क्षेत्र अब सुनसान हो गया है और रात को यहां कोई नहीं फटकता है। अब ऐसे में शहर में एक चर्चा ये है कि हर रात लगभग दो ढाई बजे इस सुनसान वीरान क्षेत्र से किसी के कराहने, चीखने और रोने की आवाज आती है। मैट्रोपोल से तो लोग भूमि को खाली कर चले गए हैं, लेकिन उन्हीं के कुछ लोग नाले के दूसरी तरफ रॉयल होटल कंपाउंड में रहते हैं, जिनका कहना है कि यहां से रात में आवाज़ें सुनाई देती हैं।


इस बात की सच्चाई जानने के लिए हमने रात एक बजे से दो बजे के बीच एक एस.एल.आर.कैमरा और दो हाई क्वालिटी के मोबाइल कैमरे तैनात किए। हमारे कैमरामैन हर आहट और गतिविधि को कैद करने के लिए अलग अलग स्थलों पर डट गए। इस शांत वातावरण वाले मैट्रोपोल क्षेत्र से रात के संभावित समय में केवल कुत्तों के भौंकने और नाले में पानी के बहने की आवाज सुनाई दी। दूसरी तरफ से एक खट खट की आवाज भी आ रही थी, जो हमारी स्टोरी का हिस्सा नहीं थी। हमारे कैमरे नैनीताल क्लब चौराहे के समीप शौचायल पर, रॉयल होटल कंपाउंड में कांडपाल बिल्डिंग पर, व्यवसायी कंचन वर्मा की बिल्डिंग में और समाजसेवी विमल चौधरी के भवन में लगाए गए थे।
अब ऐसे में सरकार ने इस अफवाह की वजह और जड़ को खोजकर सच सामने लाना चाहिए।

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