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उत्तराखण्ड

जानिए 1965 की उस रहस्यमयी टाइम ट्रैवल घटना के बारे में जो अनसुलझी रही

आज हम आपको टाइम ट्रैवल के बारे में बताने जा रहे हैं, टाइम ट्रैवल के बारे में आपने जरूर सुना होगा। जिस पर वैज्ञानिक आज भी शोध करते आ रहे हैं। यह अत्यधिक रोचक शब्द है। जिसके बारे में जानने के लिए हम सभी उत्सुक भी रहते हैं। जब कोई आदमी अपने वर्तमान से अपने बहुत आगे या पीछे अपने भूतकाल या अपने भविष्य काल में पहुँच जाता है।तब एक बात दिमाग में आती है की क्या टाइम ट्रेवल जैसी कोई थ्योरी सच में है या फिर यह सब मनघडंत बातें हैं। इसी विषय पर पहले भी कई महान वैज्ञानिकों ने शोध किये हैं और अभी भी कर रहे होंगे। आने वाले कल में भी ऐसे अनेकों शोध होते रहेंगे। लेकिन कई घटनाएं हुई हैं जो की टाइम ट्रैवल जैसी थ्योरी पर यकीन करने को बाध्य कर देती है। 

इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर वर्णन की जा रही इस घटना के बारे में हम आपको बता दे कि 1965 में उत्तराखंड के नैनीताल में ही टाइम ट्रैवल की घटना घटित हुई थी। उस समय इस घटना ने काफी सुर्खियां भी बटोरी थी। ये घटना 13 अक्टूबर 1965 को घटी थी। नैनीताल में  33 वर्षीय वासु भनोट नाम के व्यक्ति रहते थे। 13 अक्टूबर को वे अपने पैतृक गांव सतराली के लिए निकले। सतराली में उनका एक पैतृक घर था। उनके चाचा चाची गांव में ही रहते थे। उन दिनों आज की तरह यातायात के साधन उपलब्ध नहीं थे, इसीलिए वे पैदल ही अपने गांव की तरफ चल दिए। वे चलते चलते काफी आगे तक पहुँच गए। रास्ता लम्बा था अतः वासु चलते चलते थक गए थे।
 आखिरकार वे उस जगह पर पहुँच गए जहाँ से उनका गांव उनको साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। वे आगे चल पड़े लेकिन अचानक से उनको घने कोहरे ने घेर लिया। ऐसा कोहरा लगना पहाड़ों में आम बात है यही सोच कर वासु घने कोहरे के बीच ही गांव की तरफ चल पड़े। लेकिन वे जैसे ही गांव में पहुंचे उन्हें सब कुछ बदला बदला सा नजर आने लगा। वैसे तो वासु साल में दो से तीन बार अपने चाचा चाची से मिलने गांव पहुँच ही जाते थे, लेकिन उन्हें इस बार सब कुछ बदला सा नजर आ रहा था। गांव में काफी विकास के कार्य हुए हो ऐसा लग रहा था। लेकिन ये क्या गांव के पास से गुजरने वाली वो नहर जिसे वो बचपन से देखता आ रहा था वो भी पूरी तरह से गायब थी ये देखकर वासु अचंभित रह गए।

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रास्ते अब काफी बदल चुके थे।  अब बस वो जल्दी जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते थे लेकिन ये क्या घर पहुँच कर तो उनको जैसे बिजली का तेज झटका लग गया हो। जैसे ही वे अपने घर पहुंचे तथा चाचा चाची को पुकारने लगे, लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला वैसे ही अंदर से एक बुजुर्ग बाहर आये। जब वासु ने उनसे अपने चाचा चाची के बारे में पुछा तो उन बुजुर्ग ने कहा की वे उस घर में 20 -25 सालों से रह रहे हैं। अब वासु सोच में पड़ गया की आखिर यह सब कैसे हो सकता है। अभी कुछ समय पहले ही तो वे उनसे मिलकर गया था। अब वासु गांव के अन्य लोगों से पूछताछ करने लगे, लेकिन वे उसको बताते हैं की यही सत्य है। उनके चाचा – चाची की 20 -25 साल पहले एक दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है। अब वासु परेशान हो गया। 
उसको ये सब झूठ लगा। उसने अब पुलिस की सहायता लेने की सोची। वो भागता हुआ दोबारा नैनीताल वापस पहुंचा। उसने घटना की पूरी जानकारी अपने पिता को दी तथा पुलिस स्टेशन पहुंचकर  पुलिस अधिकारीयों को भी इस बात की पूरी जानकारी दी। अगले दिन वासु उसके पिता तथा पुलिस अधिकारी सतराली के लिए निकल पड़े। जैसे ही गांव के नजदीक पहुंचे तो वासु के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। सभी चीज़े पहले की तरह की सामान्य हो गयी थी। वो नहर वो रास्ते।

चाचा जी के घर पहुंचे तो वहां पर चाचा – चाची सभी सकुशल मिले। यह देखकर वासु हैरान था। वासु ने चाचा को भी सभी बातें बताई। वासु की बातों पर किसी को भी यकीन नहीं हो पा रहा था। सभी ने सोचा की वासु को कोई भ्रम हो गया होगा। कुछ ही समय में यह बात पूरे इलाके में फ़ैल गयी। उस समय के समाचार पत्रों में भी इस घटना का जिक्र किया गया था। लेकिन कुछ वर्षों बाद यह घटना सच हो गयी। उनके चाचा चाची एक एक्सीडेंट में चल बसे और गांव भी पहले के मुकाबले काफी बदल गया।  पानी की कमी के कारण वो नहर भी सूख गयी थी।
आखिर इस घटना ने  कई तरह के सवाल खड़े कर दिए थे। वैज्ञानिक टाइम ट्रेवल जैसी किसी थ्योरी पर आज तेजी से शोध कर रहे हैं।  क्या हमारे आसपास कई रहस्यमयी चीज़े हैं जिनसे हम अनजान हैं ? तो क्या जो भी घटनायें हमारे आस पास घट रही हैं क्या वे पहले से ही तय हैं ? ऐसे हजारों रहस्य आज भी अनसुलझे हैं जिनका शायद ही कभी हम इंसानों को कोई जवाब मिल पाए। लेकिन इस तरह की बहुत सारी घटनाएं आज भी घटित होती रहती है। जिनका रहस्य जान पाना मुश्किल है।

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