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जानिए कब और क्यों उठी उत्तराखंड में भू-कानून की मांग ?, जानें सबसे पहले किसने की थी शुरूआत

मीनाक्षी

उत्तराखंड में समय-समय पर भू-कानून को लेकर आंदोलन देखे गए। उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग तेजी से हो रही है। इसके लिए लगातार रैलियां और प्रदर्शन भी राजधानी देहरादून से लेकर पहाड़ों तक हो रहे हैं। लोग उत्तराखंड में जल्द से जल्द एक सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं।उत्तराखंड में सबसे पहले एनडी तिवारी सरकार में भू-कानून बना था। इस कानून में दो बार बदलाव किया गया। जिसके बाद से ही लोगों में आक्रोश है और इसी के साथ प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग उठी। बता दें कि एनडी तिवारी सरकार में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम, 1950 (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) अधिनियम की धारा-154 में संशोधन कर बाहरी प्रदेशों के व्यक्ति लिए नियम बनाया गया था। जिसके मुताबिक बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में 500 वर्ग मीटर कृषि योग्य भूमि खरीद सकते थे।जबकि उद्योगों के लिए भी एनडी तिवारी सरकार में 12 एकड़ जमीन खरीदने का नियम तय हुआ था। लेकिन एनडी तिवारी सरकार में बनाए गए इस भू-कानून में साल 2007 में खंडूरी सरकार में बदलाव किया गया। जनरल बीसी खंडूरी की सरकार ने भू-कानून में संशोधन कर उसे और भी सख्त बना दिया। इसके तहत कृषि योग्य जमीन का दायरा 500 वर्ग मीटर से कम कर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया था।खंडूरी सरकार में बदलाव के बाद एक बार फिर से त्रिवेंद्र रावत सरकार में फिर से भू-कानून में बड़े बदलाव किए गए। उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किए गए थे। इसमें 12 एकड़ उद्योगों की जमीन खरीदने को असीमित किया गया। त्रिवेंद्र सरकार में लागू हुए भू-कानून के बाद से लोगों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। इसी के बाद से प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग की जा रही है। अब ये मांग इतनी तेज हो गई है।बता दें कि उत्तराखंड में वर्तमान समय में उद्योगों के लिए जहां असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान है। तो वहीं कृषि योग्य भूमि पर 250 वर्ग मीटर जमीन बाहरी प्रदेशों के लोग खरीद सकते हैं। शहरी क्षेत्र में जो जमीन कृषि योग्य भूमि के अंतर्गत नहीं आती है वहां पर भी असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान जानकार बताते हैं।
उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में भू-कानून की मांग तेज हो गई है। प्रदेश में लोग हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त भू-कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में में जमीन खरीद का टेनेंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट की धारा-118 के तहत हिमाचल प्रदेश में कोई भी गैर हिमाचली व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की इजाजत के बाद ही कोई गैर हिमाचली यहां गैर कृषि जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन जमीन खरीदने का मकसद भी बताना होगा।

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