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ललित जोशी की मौन पदयात्रा: चुनाव परिणामों पर उठाए गंभीर सवाल, संघर्ष और जन आंदोलन जारी रखने का लिया संकल्प

नगर निगम चुनाव के परिणाम के बाद राज्य आंदोलनकारी और कांग्रेस पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार ललित जोशी ने आज शहर में एक ऐतिहासिक मौन पदयात्रा निकाली, जिसका उद्देश्य शहरवासियों के प्रति आभार व्यक्त करना था। जोशी ने इस यात्रा के माध्यम से यह संदेश दिया कि उनका संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है और वह अपने समर्थकों के लिए आगे भी लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ललित जोशी का यह मौन जुलूस रामलीला ग्राउंड से शुरू होकर हीरानगर स्थित गोल्ज्यू मंदिर तक पहुंचा। इस यात्रा के दौरान जोशी ने नगर निगम चुनाव परिणामों को लेकर अपने गहरे असंतोष का इज़हार किया और चुनाव प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियों का आरोप लगाया। यह पदयात्रा रामलीला मैदान, पटेल चौक, सिंधी चौराहा, कालाढूँगी चौराहा, मुखानी चौराहा होते हुए, हीरानगर के गोल्ज्यू मंदिर तक पहुंची।

“मैं हार गया, लेकिन मुझे 68 हजार लोगों का मिला है प्यार और समर्थन”
जोशी ने कहा कि भले ही वह चुनाव हार गए हैं, लेकिन उन्हें 68 हजार लोगों का समर्थन मिला है, जो उनके लिए एक परिवार के समान हैं। यह संख्या न केवल उनके जनाधार को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि उनके समर्थक उनके साथ हैं और उनका संघर्ष भी जारी रहेगा। जोशी ने कहा, “यह 68 हजार लोग मेरे लिए सिर्फ संख्या नहीं हैं, वे मेरे परिवार की तरह हैं और उनका समर्थन मेरे लिए बहुत मायने रखता है।” इनके सहारे मैं अपने परिवार को और बढ़ाऊंगा।

“अब गोल्ज्यू ही न्याय करेंगे”
यात्रा के दौरान ललित जोशी ने यह स्पष्ट किया कि वह अब गोल्ज्यू मंदिर के सामने अपने संघर्ष को लेकर खड़े हैं। उनका यह कहना कि “अब गोल्ज्यू ही न्याय करेंगे”, यह संकेत करता है कि वह स्थानीय आस्था और विश्वास का सहारा लेकर, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ एक जन आंदोलन छेड़ने के लिए तैयार हैं।

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चुनाव प्रणाली पर गंभीर सवाल
ललित जोशी ने अपनी पदयात्रा के दौरान चुनाव प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में मतों को काटा गया और कई मतपत्र निरस्त किए गए, जिससे मतदाताओं का विश्वास कमजोर हुआ। जोशी ने विशेष रूप से मतगणना प्रक्रिया पर सवाल उठाए और कहा कि चुनाव के परिणामों को लेकर पूरे शहर में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की गई। मतगणना के दौरान एक डब्बा काठगोदाम तो दूसरा डब्बा भगवानपुर का खोला गया, जबकि पिछले चुनावों की मतगणना में ऐसा कभी नहीं हुआ। उनका आरोप था कि मतगणना के दौरान कई बार प्रक्रियाओं का पालन सही तरीके से नहीं किया गया और कई जगहों पर मतगणना के आंकड़े अस्पष्ट थे। महापौर की पिछले चुनाव की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र से 14000 तो हल्द्वानी विधानसभा से 19000 के अधिक मत प्राप्त करने के बावजूद हार अचंभित करती है।

जन आंदोलन की जारी रहेगी प्रक्रिया
ललित जोशी ने यह भी कहा कि उनका जन आंदोलन जारी रहेगा और वह अपने समर्थकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करेंगे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह किसी भी रूप में अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। जोशी ने इस बात को दोहराया कि उनके आंदोलन का उद्देश्य न केवल चुनाव परिणामों को चुनौती देना है, बल्कि उन लाखों लोगों की आवाज़ को उठाना भी है, जिनका प्रतिनिधित्व सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।

नवनिर्वाचित मेयर गजराज बिष्ट को भी दी बधाई
यात्रा के अंत में, ललित जोशी ने नवनिर्वाचित मेयर गजराज बिष्ट को जीत की बधाई दी। जोशी ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर किसी को अपना स्थान मिलता है और बिष्ट की जीत पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, जोशी ने यह भी कहा कि उनकी यात्रा और संघर्ष का उद्देश्य जनता की समस्याओं को हल करना है, और इस दिशा में वह आगे भी काम करते रहेंगे। जोशी ने यह स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन कभी भी हिंसक नहीं होगा और वह हमेशा शांति और सटीकता से अपनी बात रखेंगे।

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लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास
ललित जोशी ने यह भी बताया कि उनका संघर्ष और जन आंदोलन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखने के साथ है। उन्होंने कहा, “हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन जब हमें लगता है कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हो रही है, तो हमें अपनी आवाज़ उठानी चाहिए। यह हमारा अधिकार है।” जोशी ने यह संदेश दिया कि चुनाव परिणामों से वह निराश जरूर हैं, लेकिन उनका संघर्ष देश और समाज के हित में रहेगा।

नवीन राजनीति के लिए आशा
ललित जोशी के इस मौन पदयात्रा से यह संदेश साफ है कि उन्होंने चुनाव हारने के बावजूद अपनी लड़ाई को जारी रखने का निर्णय लिया है। उनकी यह यात्रा केवल चुनाव परिणामों के खिलाफ नहीं, बल्कि एक नए जन आंदोलन की शुरुआत हो सकती है। जोशी के नेतृत्व में एक नई राजनीति की दिशा निर्धारित हो सकती है, जिसमें पारदर्शिता, ईमानदारी, और जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

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