उत्तराखण्ड
मोहन सिंह महरा-गांव की राजनीति से लेकर विधानसभा तक का सफर
दन्या( संवाददाता)। जागेश्वर विधानसभा की बीस वर्ष की कांग्रेस पाले की पुरानी सीट पर जागेश्वर विधानसभा के वीजेपी प्रतियाशी मोहन सिंह महरा की झोली समायी।
राज्य में वीजेपी सबसे ज्यादा सीट लेकर सरकार का बनना तय है।
वीजेपी प्रतियाशी मोहन सिंह महरा वाट सदस्य से लेकर विधयाक बनने तक का सफर उतार चढ़ाव के साथ सफलता की राह दिखाई दी।
मोहन सिंह महरा 20 वर्ष की उम्र में पैतृक गांव तडकोट ग्राम पंचायत प्रधान पद में काबिज हुए। ग्राम पंचायत तडकोट में लगभग 15 वर्षो तक ग्राम प्रधान पद का प्रतिनिधित्व किया।
मोहन सिंह महरा 1997 में जिला पंचायत क्षेत्र डूंगरा से जिला पंचायत सदस्य रहे। पुनः उसी जिला पंचायत क्षेत्र से 2003 में पुनः जिला पंचायत क्षेत्र सदस्य के साथ साथ जिला पंचायत अध्यक्ष के पद में नियुक्त किया गया। महरा की लगातार यह जीत कांग्रेस पार्टी में रहते हुए थी। वही 2019 में कांग्रेस पार्टी में रहते हुए मोहन सिंह महरा को कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाने में हुए विवाद के चलते मोहन सिंह महरा कांग्रेस छोड़कर वीजेपी की सदस्यता ले ली। पार्टी ने महरा को राज्य दर्जा मंत्री पद की जुमेवारी दी गयी। जो कुछ महीनों का कार्यकाल रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में मोहन सिंह महरा को जागेश्वर विधानसभा से विधायक पद के प्रतियाशी के रूप में टिकट दिया गया। जिसमें मोहन सिंह महरा ने प्रतिद्वंद्वी बीस साल पुराने जागेश्वर विधानसभा के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल की पक्की नींव को ध्वस्त कर भाजपा की नींव तैयार कर दी। यह सफर राजनीतिक क्षेत्र के खिलाड़ी के लिए आसान नही होता।
मोहन सिंह महरा ने बताया मैंने अभी तक अपने जीवन मे छोटे बड़े ग्यारह चुनाव लड़े हैं जिसमे हमेशा ही सफलता पाई है। और जागेश्वर विधानसभा के विधायक का चुनाव भी उनमें से ही एक हैं।
मोहन सिंह महरा ने बताया 2014 में मेरी धर्म पत्नी पार्वती महरा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का दायित्व पूरा किया था।
वर्तमान में डूंगरा जिला पंचायत से मेरा पुत्र सुरेंद्र सिंह महरा जिला पंचायत सदस्य का कार्यभार संभाल रहे हैं।
मोहन सिंह महरा को राजनीतिक चाणक्य मानना अतिसयुक्ति नही होगी माना जा रहा कि आज तक जागेश्वर विधानसभा में कांग्रेस विधायक का परचम भी मोहन सिंह महरा के नाम ही जाता है।