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मातृ दिवस – माँ का आंचल

माँ का आंचल सारे जग में ,
सदा-सदा ही प्यारा है।
हर विपदा को तुमने सहकर,
कांटों की राहों पर चलकर।
हर पल जीवन संवारा है,
माँ का आंचल प्यारा है।।
ममतामयी करूणा की सागर,
वह ममता की छांव है।
गिरकर उठना और संभलना,
माँ ने ही सिखलाया है।
दृढ़ निश्चय से मिले सफलता,
माँ तुमने ही दिखलाया है।
आई विपदाऐं भी अनेकों,
किया सामना डटकर तुमने,
हर सुख अपना न्यौछावर कर,
जीवन यह संवारा तुमने।
मानवता के धर्म कर्म को,
हर पल माँ ने सिखलाया।
सागर की लहरों को उसने,
किश्ती बनकर पार किया।
हर जन्म तेरा आंचल मैं पाऊं,
माँ तेरी छांव मैं पलूँ सदा।
ममतामयी करूणा की सागर,
करूं तेरा गुणगान सदा।
माँ की ममता के आगे तो,
कठिन डग यहां हारा है।
माँ का आंचल सारे जग में ,
सदा – सदा ही प्यारा है।


          -भुवन बिष्ट(लेखक /रचनाकार)
             रानीखेत (उत्तराखण्ड)

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