उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड के सम्मान का प्रतीक है नन्दा देवी मेला, मनोज वर्मा लोक परंपराओं को समर्पित कौतिक 20 सितम्बर से होगा शुरू
-नवीन बिष्ट
अल्मोड़ा। उत्तराखण्डी लोक परंपराओं का बहक नन्दा देवी कौतिक 20 से 27 सितम्बर तक आयोजित किया जाएगा। मेले में लोक गीतों व संस्कृतिक परंपराओं के विविध स्वरूपों को संरक्षित करने की दिशा में काम किया जाता रहा है, यह रवायत जारी रहेगी। यह बात आज नन्दा देवी मेला समिति अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहीं, वह पत्रकारों से नन्दा देवी मेले की व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि हराती बिलाती लोक परंपराएं छपेली चांचरी, बैर भगनौल के मौलिक स्वरूप को बरकार रखते हुए आज के समाज के अनुरूप भी प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी स्थानीय कलाकारों, व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए बाहर से आने वाले व्यापारियों को भी मेले में आमंत्रित करने का निर्णय कमेटी ने लिया है।
मनोज वर्मा ने कहा कि नन्दादेवी मेला नगर के सम्मान का प्रतीक है, हम सबका दायित्व है कि ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी की गरीमा व सम्मान को बढ़ाने में अपना सहयोग दें। इस अवसर पर मेले का पोस्टर का लोकार्पण किया गया। उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार 21 सितम्बर को मूर्ति निर्माण के लिए लाए जाने वाले कदली वृक्षों को न्यौता देने के विधिविधान से मुहुर्त के अनुरूप लोक वाद्य यंत्र बाजेगाजे के साथ पूजन के लिए जाया जाएगा। 22 सितम्बर को प्रातः मुहुर्त के अनुसार कदली वृक्षों को फलसीमा गांव से लाया जाएगा। उसी दिन मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा आदि के बाद 27 सितम्बर को शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर मेले के मुख्य संयोजक मनोज सनवाल व सांस्कृतिक संयोजक तारू जोशी ने मेले के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर मेला अनूप सह अन्नू हरीश विष्ट जीवन नाथ वर्मा चन सिंह वर्मा, परितोष जोशी जनत तिवारी करण लमगड़िया, पुष्पा सती आनन्द सिंह गढवाल
मोहन काण्डपाल, डा. निर्मल जोशी, किशन गुरुरानी, रिक्लू साह अमरनाथ नेगी, अर्जुन सिंह, कुलदीप मेर, गणेश मेर, डा. चन्द्र प्रकाश वर्मा, विक्की पलनी रवि गोयल, आयुष वर्मा संतोष मिश्रा, हरीश कनवाल, गीता मेहरा, मीना भैसोड़ा सहित अनेक पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे।