उत्तराखण्ड
प्राकृतिक आपदा एवं आनलाइन से उत्तराखंड का व्यापार हुआ मृतप्राय: वर्मा
हल्द्वानी। प्रान्तीय उधोग व्यापार मंडल के निवर्तमान अध्यक्ष नवीन वर्मा ने कहा किविपरीत परिस्थितियों में व्यवसाय करना और व्यवसाई से अपना भरण-पोषण करना आज के हालातों में बहुत मुश्किल होता जा रहा है।
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां यदि हम दृष्टिगत करते हैं तो तराई भाबर शिवालिक पर्वतमाला एवं उच्च हिमालई क्षेत्र में बटा यह राज्य व्यापारी वर्ग के लिए वर्तमान परिस्थितियों में बहुत ही विषम होता जा रहा है।
यहां पर प्रकृति की मार या तो किसानों को या व्यापारियों को बहुत ज्यादा परेशान कर रही है। उन्होंने ने कहा अतिवृष्टि से अथवा बादल फटने की घटना के कारण कई दुकानें व घर बह जाते हैं कई जगह भूधासव या मलवा आने से दुकानें दब जाती हैं वहीं मैदानी क्षेत्र में अत्यधिक जलभराव व अग्नि कारणों के कारण व्यापारियों को बहुत नुकसान हो जाता है।
सन 1995 के बाद से उच्च हिमालई क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है शायद इसके लिए असंतुलित विकास प्रमुख कारण रहा हो जिसका खामियाजा हमारे हिमालई क्षेत्र से लगे ज़िलों- उत्तरकाशी चमोली ,पिथौरागढ़ और बागेश्वर को उठाना पढ़ रहा है।
बलवाकोर्ट से धारचूला या थल मुनस्यारी से बरम तक का क्षेत्र अथवा पिंडर घाटी के तट पर बसे थराली – नारायण बगड़ हो या रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी के तट पर बसे बाजारों या उत्तरकाशी हरसिल का संवेदनशील क्षेत्र आपदा का केंद्र बना रहता है।
इस संदर्भ में हमारे संगठन के द्वारा प्रदेश सरकार से कई वर्षों से लगातार यह गुहार लगाई जा रही है कि व्यापारियों को आपदा में राहत का पात्र माना जाए, और उन्हें तत्काल राहत राशि उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे अपनी आजीविका चला सके। लेकिन प्रदेश सरकार व्यापारियों को केवल राजस्व देने की ऐसी मशीन समझती है। जिसमें तेल- पानी ना डालना पड़े। संगठन संचालन हेतु बनाई गई। अस्थाई संयोजक मंडल ने कहा कि इस मांग को प्रदेश सरकार से मनवाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
वर्मा ने कहा कि इतनी आपदाओं को झेलने वाले समाज को आज ऑनलाइन व्यापार के कारण अपना व्यवसाय बंद करना पड़ रहा है हमारे हजारों बेरोजगार साथियों ने व्यवसाय को रोजगार का माध्यम चुना लेकिन सरकार उन्हें प्रोत्साहित करने की जगह उजाड़ने के लिए प्रतिबद्ध दिखती है।