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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी पतलचौरा गांव को सड़क नसीब नहीं


अल्मोड़ा । भैसियाछाना बिकास खंड से पांच किलोमीटर आगे कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग कागजों में ही सिमट के रह गया है। लंबे समय से कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग के लिए तत्कालीन सरकार व वर्तमान सरकार को ग्रामीण गुहार लगाते आ रहे हैं लेकिन आज तक पतलचौरा सड़क मार्ग बनाने के लिए शासन प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली।

आपको बता दें सन 2019 में कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग स्वीकृति हुई उसके बाद सर्वे अल्मोड़ा व बागेश्वर वन विभाग द्बारा इस सड़क मार्ग में पेड़ों की पुष्टि कर लोक निर्माण विभाग को एनओसी दे दी । लेकिन अभी तक शासन प्रशासन की ओर से इस सड़क मार्ग के लिए कोई कारवाई नहीं हुई। पतलचौरा गांव वैसे भी अनुसूचित जाति का बाहुलि गांव है। सरकार एक तरफ बोलती है उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के लिए हम हर तरह के आरक्षण देते हैं। पतलचौरा गांव वाले उतराखड राज्य बनने के बाद सड़क मार्ग के लिए गुहार लगाते गए, सरकार आईं और गईं कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग बनाना भूल गई। पतलचौरा गांव से कनारीछीना आने के लिए तीन किलोमीटर की चढ़ाई व ढलान में बरसात के टाइम पर स्कूली बच्चों व गर्भवती महिलाओं को आने जाने में जान जोखिम में डालना पड़ता है। पतलचौरा गांव से किसी बिमार व गर्भवती महिलाओं को निकटतम अस्पताल कनारीछीना लाने डोली व खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है ।

ग्रामीणों का कहना है रोड नहीं तो वोट नहीं, अगर कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग बन जाती तो यहां की तीन सौ से ज्यादा जनता लाभांवित होती। सड़क के बिलंब में होने से प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री पोटल पर भी शिकायत की ताकि सड़क मार्ग बन सके लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग के निर्माण कार्य बिलंब में होने से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ते जा रहा है। अगर जल्द से जल्द इस मार्गं का निमार्ण कार्य के लिए शासन प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की तो ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन व चक्काजाम करने का मन बना लिया है।

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