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उत्तराखण्ड

पद्मश्री बसंती बिष्ट ने बिखेरा जागर का जादू

लोक संस्कृति की विविध विधाओं के नाम रहा लिट् फेस्ट का दूसरा दिन

नवीन बिष्ट
अल्मोड़ा। नगर के मल्ला महल मे चल रहे लेट फास्ट के दूसरा दिन लोक संकृति की विविध परम्पराओं विधाओं के नाम रहा । एक ओर जहां जागर गायन की पुरोधा पद्मश्री पुरुस्कार प्राप्त बसंती बिष्ट ने अपनी जागर गायन का सामने वाले को जागृत करने की क्षमता रखने वाला अंदाज का प्रदर्शन किया, वहीं चंदन बोरा एवं साथियों, छोलिया नर्तक की टोली ने युद्ध कौशल का प्रदर्शन कर दर्शकों को ढोल दमायू और तुरही रन सिंह की ऊर्ध्व ध्वनि के साथ करतबों ने रोमांचित कर दिया । हालांकि की आयोजको की अपेक्षाओं के अनुरूप लोक भागीदार नहीं हो सकीं।

प्रख्यात कवि हिमांशु बाजपेयी द्वारा दास्तांनगो काकोरी 1925 मंच मै की गयी। डा. हैप्पीमैन जैकब, श्रीपर्मा पाठक, और प्रोफेसर हर्ष पंत द्वारा विदेश नीति एवम राष्ट्र सुरक्षा पर परिचर्चा की गयी जिसका संचालन आशुतोष पंत द्वारा किया गया। चिठ्तियों पर लखनऊ विषय पर समन हबीब और संजय मट्टु ने बातचीत व परिचर्चा की। इतिहास की पुनर व्याख्या पर डा. ओ सी हान्डा एवम क्विंनी प्रधान द्वारा परिचर्चा की इसका संचालन अनिल जोशी द्वारा किया गया।
साहित्य मै कलात्मकता विषय पर अशोक वाजपेयी ने बातचीत की इसका संचालन मनीषा कुलश्रेष्ठ ने किया। शिवानी के सौ साल पूरे होने पर उनकी पुत्री ईरा पाण्डे ने वातचीत की। इसमें प्रभात रंजन, अदिति महेश्वरी ने परिचर्चा की इसको संचालित दीपा गुप्ता ने किया।

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