कुमाऊँ
कविता-लेखनी है शपथ
लेखनी है शपथ, तुझे इन कोरे पन्नों की
इन पर कालिख मत मलना
तू बस सच ही लिखना, चाटुकारिता में मत बहना
रंजिश में कुछ मत कहना
लिखे गरीब की भूख तो बेबस की पुकार भी लिखना
यदि तू लिख गुलशन कहीं तो अंगार भी लिखना
जुर्म के खिलाफ हुंकार भी लिखना
वास्ता तुझे बेगुनाह पन्नों का
कहे कोई भी कुछ पर गलत के विरुद्ध
तू बस यलगार ही लिखना
लिखे यदि बादल की बेसब्री
तो तू दरिया का सार भी लिखना, लिखे जो प्रेम हीर का तो
तू मीरा की पीर भी लिखना लेखनी है शपथ तुझे,
बस तू सच ही लिखना।
यह कविता ग्राम बिरिया झनकट उधम सिंह नगर जिले की कवयित्री बसंती सामंत ने पर्वत प्रेरणा न्यूज को लिखकर भेजी है। आपको बताते चलें कि कवित्री बसंती सामंत को कविता लेखन के क्षेत्र में अटल हिंदी सम्मान,2020काव्य प्रभा कवि सम्मान, 2020 fisa द रियल सुपर वुमन, 2021उत्तराखंड महिला रत्न, उत्तराखंड नारी गौरव सम्मान जैसे कीर्तिमान सम्मानो से नवाजा जा चुका है।
संवाददाता:- गौरव शर्मा टनकपुर