उत्तराखण्ड
पसीने की बदबू और दाढ़ी काटने को लेकर आपस में भिड़े बंदी, जेल बना आखाड़ा
उपकारागार हल्द्वानी में पसीने की दुर्गंध को लेकर दो बंदियों के बीच बहस हो गई बहस बढ़ती गई तो हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान दो बंदीरक्षकों ने सख्ती बरतकर मामला शांत कराया। तीन दिन बाद फिर दाढ़ी काटने को लेकर हंगामा हो गया।बाद में विवाद को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। उधर, जेल अधीक्षक ने दो बंदीरक्षकों की ड्यूटी बदल दी है। साथ ही दोनों से स्पष्टीकरण मांगा। उपकारागार हल्द्वानी में बनभूलपुरा हिंसा के आरोपी बंद हैं। इसके अलावा अन्य बंदी भी जेल में हैं। जेल प्रशासन के मुताबिक 26 जुलाई को बनभूलपुरा हिंसा का आरोपी और एक अन्य मामले का आरोपी जेल परिसर में खड़े थे। तभी पड़ोस में खड़े दूसरे बंदी ने यह कह दिया कि दुर्गंध आ रही है, हाथ नीचे कर लो। इसी बात पर दोनों पक्षों में नोकझोंक और हाथापाई हो गई। जानकारी मिलते ही बंदरक्षक मौके पर पहुंच गए। करीब एक घंटे तक गहमागहमी का माहौल रहा और डांटकर सभी को अलग कर दिया गया।सोमवार को बनभूलपुरा हिंसा के आरोपियों ने आरोप लगा दिया कि जेल के नाई ने उनकी दाढ़ी काट दी जबकि उसने मना किया था। वहीं खड़े बंदीरक्षकों ने दाढ़ी जल्दी बनाने को लेकर उनसे बदसलूकी और अभद्र भाषा में बात की। यह बात आग की तरह फैली, उधर कुछ धर्मगुरु जेल पहुंचे और जेल अधीक्षक से बात की। बाद में सभी पक्षों ने अपनी-अपनी गलती को मान लिया और माफी मांगी। बाद में तरह-तरह की बात निकलकर सामने आने लगी। मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। हालांकि जेल प्रशासन ने दोनों बंदी रक्षकों की ड्यूटी हटाकर दूसरी जगह लगा दी है। साथ ही स्पष्टीकरण भी मांगा है।प्रमोद पांडेय, जेल अधीक्षक ने बताया कि 26 जुलाई को बंदियों के बीच पसीने की दुर्गंध को लेकर कहासुनी हो गई थी। बंदी रक्षकों ने फटकार कर इन्हें अलग कर दिया। सोमवार को दाढ़ी काटने की बात को लेकर बनभूलपुरा मामले में बंद लोगों ने हंगामा किया। विवाद की जांच कराई गई तो मामला गलत निकला। सीसीटीवी में घटना गलत साबित हुई। कुछ धर्मगुरु उनके पास आए थे, उन्हें शिकायत करने वाले लोगों से मिला दिया था। कहा कि अभद्र भाषा प्रयोग करने पर बंदी रक्षक से स्पष्टीकरण मांगा गया है। दो बंदीरक्षकों की ड्यूटी भी बदली गई है।