उत्तराखण्ड
कैग ने उठाये सवाल:- सरकार ने बेवजह उठाया 66 हज़ार करोड़ का कर्ज
देहरादून। उत्तराखंड में अब तक की एक बड़ी खबर सामने आ रही है यहां पर कोरोना काल में हर किसी की जिंदगी मुश्किल हो गई है। आम आदमी से लेकर सरकार तक वित्तीय बोझ से जूझ रही है। इस वित्तीय बोझ से पार पाने के लिए राज्य सरकार ने बाजार से महंगी दरों पर लोन उठाया, बस इसी के चलते कैग ने राज्य सरकार को घुड़क दिया है। यहां आपको कैग की नाराजगी की वजह भी बताते हैं, कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पर्याप्त नगद राशि होने के बावजूद राज्य सरकार बेवजह बाजार से महंगी दरों पर लोन उठा रही है। ऐसा तब किया गया, जबकि सरकार के पास पर्याप्त नगदी मौजूद थी।
नगदी होने के बावजूद महंगी दरों पर लोन लेना सरासर गलत है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। अब रिपोर्ट के बारे में जान लेते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2020 तक उत्तराखंड सरकार 65,982 करोड़ के कर्ज के तले दब चुकी थी। पिछले पांच सालों में कर्ज का यह ग्राफ लगातार बढ़ा है।
कैग ने न सिर्फ राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं बल्कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसडीजीपी) में भारी गिरावट का भी खुलासा किया है। यह आंकड़ा कैग ने राज्य सरकार के अर्थ एवं संख्या विभाग की रिपोर्ट के हवाले से दिया है।रिपोर्ट के मुताबिक, सकल राज्य घरेलू उत्पाद की दर 2015-16 में 9.74 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में पांच सालों में सबसे अधिक 14.20 फीसदी रही। लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट दर्ज हुई। 2019-20 में यह 3.16 प्रतिशत तक गिर गई। मार्च 2020 के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी की जबर्दस्त मार पड़ी। कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के पास वर्ष 2019-20 में अपने खातों में पर्याप्त नगद राशि थी। इसके बावजूद अप्रैल, जुलाई, अगस्त, सितंबर और दिसम्बर के महीने में बाजार से ऊंची दरों पर लोन लिया गया। इन महीनों में सरकार बाजार से लोन उठाने से बच सकती थी। बाजार से लोन लेने के बावजूद साल के आखिर में सरकार के नगद शेष लेखे के अंतर्गत कोई शेष नहीं था।
इस पूरे साल सरकार की ओर से 5100 करोड़ बाजार से उठाए गए। कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि राज्य में ऋणों की वसूली संतोषजनक नहीं है। इसमें सुधार की जरूरत है। ऋण वसूली को बढ़ाया जाना चाहिए। रिपोर्ट में लंबित योजनाओं का भी जिक्र है। इसके अनुसार लोक निर्माण विभाग में विभिन्न प्रभागों में 886 करोड़ की 210 परियोजनाएं लंबित रहीं। परियोजनाओं के समय पर पूरा न होने से विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं, दूसरी योजनाओं पर भी फोकस नहीं हो पाता। कैग रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में राज्य में नगद शेष निवेश सबसे अच्छी स्थिति में था जो लगातार घटकर 2019-20 में शून्य हो गया। कैग रिपोर्ट में ऋण वसूली में तेजी लाने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर खास ध्यान देने की सलाह दी गई है।