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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू, विवाह और लिव-इन के लिए कड़े नियम

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को प्रभावी रूप से लागू कर दिया गया है, जिसमें विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में कड़े नियम बनाए गए हैं। सरकार ने विवाह और तलाक के पंजीकरण के लिए शुल्क निर्धारित किया है, साथ ही अगर कोई व्यक्ति साक्ष्य छिपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उसके खिलाफ जुर्माने और सजा का भी प्रावधान रखा गया है।

प्रदेश में यूसीसी के सुचारू क्रियान्वयन के लिए पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, ताकि हर स्तर पर इस कानून का सही तरीके से पालन हो सके। जिला नोडल अधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार से संबंधित सेवाओं के लिए पंजीकरण शुल्क तय किए गए हैं और इन मामलों में देरी होने पर जुर्माने की व्यवस्था भी लागू की गई है। यूसीसी पोर्टल पर प्राप्त सभी पंजीकरणों पर ये नियम प्रभावी रूप से लागू किए जा रहे हैं और नियमों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

विवाह पंजीकरण के लिए सामान्य शुल्क 250 रुपये रखा गया है, जबकि तत्काल पंजीकरण के लिए 2500 रुपये देने होंगे। अगर विवाह पंजीकरण 90 दिनों के भीतर नहीं कराया जाता, तो पहले 200 रुपये और फिर 400 रुपये तक का विलंब शुल्क देना होगा। तीन महीने से अधिक की देरी होने पर अधिकतम 10,000 रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है। इसी तरह, तलाक के पंजीकरण के लिए 250 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है, जबकि 90 दिनों के भीतर देरी होने पर 200 रुपये और उसके बाद 400 रुपये तक की राशि अदा करनी होगी।

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उत्तराधिकार से जुड़े मामलों के लिए भी शुल्क तय किए गए हैं। बिना वसीयत के उत्तराधिकार के कानूनी वारिस की घोषणा के लिए 200 रुपये देने होंगे, जबकि वसीयतनामा पंजीकरण का शुल्क 250 रुपये होगा। लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी 500 रुपये पंजीकरण शुल्क रखा गया है, जबकि समयसीमा समाप्त होने के बाद दोबारा जानकारी देने पर 1000 रुपये देने होंगे।

अगर कोई व्यक्ति विवाह पंजीकरण में लापरवाही बरतता है, तो उसे अधिकतम 10,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। तलाक या विवाह पंजीकरण निरस्त करने की स्थिति में लापरवाही करने पर भी जुर्माने और सजा का प्रविधान किया गया है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति झूठी शिकायत दर्ज कराता है, तो उसे 5000 रुपये तक का दंड भुगतना होगा। खास बात यह है कि किराए के मकान में रहने वाले लिव-इन कपल्स को भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा और अगर मकान मालिक बिना पंजीकरण के उन्हें रहने की अनुमति देता है, तो उस पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

यूसीसी में पंजीकरण के पहले छह महीनों तक प्रमाणित दस्तावेजों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन इसके बाद विवाह, उत्तराधिकार, वसीयतनामा और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े दस्तावेजों के लिए 100 से 500 रुपये तक की राशि देनी होगी। सरकार का मानना है कि इन नए नियमों से समाज में पारदर्शिता आएगी और नागरिकों को एक समान कानून के दायरे में लाकर उनके अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।

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