दिल्ली
छावला रेप और हत्या मामले में न्याय दिलाने की मांग, सीएम धामी से लगाई गुहार
दिल्ली। छावला रेप और हत्या मामले में पीड़िता उत्तराखंड की बेटी के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर प्रदेश में देहरादून महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर देशभर में लोगों में उबाल है। इस मामले में सरकार और दिल्ली पुलिस पर सही पैरवी नहीं करने के आरोप लग रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने ज्ञापन में कहा कि उत्तराखंड की बेटी के साथ दिल्ली के छावला में हुए दुष्कर्म के अपराध पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय को स्तब्ध करने वाला है। साल 2012 में राज्य की बेटी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार व हत्या प्रकरण पर निचली अदालत ने तीन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा था। सजा कम करने को लेकर की गई अपील में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलट दिया और तीनों आरोपियों को रिहा करने के आदेश दे दिया। जो कि पीड़िता और उसके माता-पिता के लिए अन्याय है।उन्होनें कहा इस मामले में सरकार और दिल्ली पुलिस की पैरवी भी कमजोर रही है।
इस घटना ने पूरे उत्तराखंड सहित देशभर के लोगों को उद्वेलित कर दिया। निराश लोग धरने और प्रदर्शन का सहारा ले रहे हैं। कोर्ट के मामले में समस्या का समाधान सिर्फ मजबूत पैरवी करने से ही होगा। ऐसे में आपसे निवेदन है कि पीड़िता के माता पिता को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड सरकार पहल करे। उन्होनें कहा सरकार अपने स्तर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बड़ी बेंच पर अपील करे। ताकि गरीब परिवार को न्याय मिल सके। ऐसे में आपको पहल करके इस मामले में उचित कानूनी कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए। इसी तरह पौड़ी जिले के यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत गंगा भोगपुर स्थित रिसोर्ट में कार्यरत रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी के मामले में भी दमदार पैरवी की जाए। इससे पीड़िता के परिजनों को न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी कई सवाल उठ रहे हैं। इनका जवाब भी जनता के सामने दिया जाना चाहिए। आखिर वह व्यक्ति कौन था, जिसके कारण अंकिता की हत्या की गई है।
साथ ही इस मामले में भी न्यायालय में पैरवी में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। ताकि हत्या के आरोप में पकड़े गए रिसोर्ट मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता भी जमानत लेकर बाहर ना आ जाएं। जब तक आरोपियों को फांसी के फंदे तक नहीं पहुंचाया जाता, तब तक उत्तराखंड की बेटी से न्याय नहीं होगा। पीड़ितों के लिए न्याय एवं सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया, तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।