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उत्तराखण्ड

द पहाड़ी एग्रीकल्चरउत्तराखंड की पर्वतीय कृषि की पहली मासिक डिजिटल ई-पत्रिका

हल्द्वानी। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पलायन एक बड़ी समस्या है, पलायन के कारण से अधिकतर खेती योग्य भू-भाग बंजर पड़ा हैं एवं ऐसे बंजर खेत जंगली जानवरों के छुपने की जगह बनकर रह गए हैं, इसके विपरीत कुछ किसान इन क्षेत्रों में कृषि आधारित आजीविका अपनाकर बहुत ही सूंदर कार्य कर रहे हैं एवं सभी के लिए मिशाल बन रहे हैं।

यह जानकारी “द पहाड़ी एग्रिकल्चर” ई-मैगज़ीन के संपादक हेमेंद्र नेगी ने दी। उन्होंने कहा मासिक पत्रिका का यही उद्देश्य है कि ऐसे ही किसानों को और अधिक प्रोत्साहित कर उनकी सफलता की कहानियों को अन्य लोगों तक पहुंचाकर उनको भी प्रेरित करना है, जिससे वह भी रिवर्स माइग्रेशन कर अपने गांवों में ही स्वरोजगार कर अपनी आजीविका चला सकें ।

नेगी ने कहा डिजिटल युग में उत्तराखंड के साथ-साथ सभी पहाड़ी क्षेत्रों को इसी प्रकार के प्लैटफ़ार्म की आवशयकता थी, जो “द पहाड़ी एग्रिकल्चर” ई-मैगज़ीन की पहल से सभी किसानों, गैर-सरकारी संस्थाओं, केंद्र एवं राज्य सरकार की किसान कल्याण योजनाओं, पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि से संबन्धित स्टार्ट अप्स आदि को एक माध्यम मिला है। वह अपने कार्यों को डिजिटल माध्यम से सभी जनमानस तक पहुंचाए जिससे अन्य किसान भी प्रेरित होकर लाभान्वित होंगे |

पर्वतीय क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं, जरूरत थी तो इन सभी संभावनाओं को एक बड़े पटल पर प्रदर्शित करने की जिससे लोग उनको समझें, जाने, जानकारी लें, आत्मशात करें । वह कार्य सच में “द पहाड़ी एग्रिकल्चर” ई-मैगज़ीन ने धरातल पर उतार दिया है, इससे किसानों को तो नयी-नयी जानकारियाँ मिलेंगी ही साथ में हमारे पर्वतीय क्षेत्रों के युवा स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाएँगे |

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श्री हेमेंद्र नेगी ने कहा अभी तक पत्रिका के 6 अक प्रकाशित हुए है जिसमें उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के प्रगतिशील किसानों एवं युवा उद्यमियों की सफलता की कहानियों को प्रक्षित किया गया है।पत्रिका के माध्यम से उत्तराखंड के के साथ-साथ अन्य हिमालयी राज्यों में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) एवं अन्य कृषि विशेषज्ञ भी पत्रिका में अपने लेख प्रकाशित कर रहे हैं।

पत्रिका के माध्यम से पहाड़ी कृषि संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जिसमें किसानों एवं उद्यमियों का लाइव विडियो एवं उनके फार्म पर जा कर इंटरव्यू भी लिया जाता है जिससे विडियो एवं डिजिटल मीडिया के माध्यम से इसको ज्यादा से जायदा लोग देख सकें । पत्रिका द्वारा पहाड़ी किसाण ब्रेण्ड सिरीज़ भी चलायी जाती है जिसमें पहाड़ी भाषाओं में पर्वतीय कृषि से संबन्धित जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाता है ।

पत्रिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न महोत्सव देहारादून में भी अपना स्टॉल लगाया गया था । पत्रिका का मुख्य उदेश्य पर्वतीय क्षेत्रों में किसाओं द्वारा किए जाने वाले उन्नत को डिजिटल मीडिया के माध्यम से सभी जनमानस तक पहुंचाना है जिससे पलायन कर चुके लोग एवं हमारे युवा भी हया समझ सकें की पहाड़ों में भी रोजगार स्थापित किया जा सकता है एवं जिसका जीता जागता उदाहरण हमारे ऐसे प्रगतिशील किसान एवं उद्यमी हैं ।

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