उत्तराखण्ड
हिमालय दिवस पर विशेष – रचनाकार भुवन बिष्ट की कुमाउनी रचना
रानीखेत। प्रकृति में प्राकृतिक संतुलन का होना अति आवश्यक है। आजकल बढ़ते प्रदूषण, वनों का अत्यधिक ह्रास, विकास की अंधाधुंध दौड़ में कटते पहाड़, उजड़ते खेत खलिहान, बढ़ते कंक्रीट के जंगल, अत्यधिक वनाग्नि, वनो का दोहन ये सभी प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने में भूमिका निभा रहे हैं। हिमालय जो सशक्त प्रहरी होने के साथ साथ प्राकृतिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए हिमालय को बचाने के लिए आमजनमानस को जागरूक बनने की आवश्यकता है। जल ही जीवन को साकार बनाने के लिए भी हिमालय का सुरक्षित रहना आवश्यक है। हिमालय बचाने को जागरूकता का संदेश देती हुई रचनाकार भुवन बिष्ट की कुमाउनी रचना हिमालय बचै लियो।
(हिमालय बचै लियो)
हिमालय कैं मिलजुलिं बचै ल्यो।
अभियान घर घर में पूजै दियो।।
हिमालय हामरीं छूं सदा बणीं शान।
हिमालय बचूंणौक चलिं रौं अभियान।।
पर्यावरण हांम सबूं कैं बचूंण छूं।
स्वच्छता अभियान लैं चलूंण छूं।।
ख्वार मुकुट बणीं रौ ,आओ सजूंलौ हिमालय।
शपथ सब मिलिं बे ल्यो,हांम बचूंलौ हिमालय।।
यौ बात आब सबूंकै बतै दियो….
हिमालय कैं मिलिजुलिं बचै ल्यो।….
जंगल बचै लियो डाव बोटों कै नि काटो।
ठंडी हवा ठंडो पाणी पियो मिलिं बांटो।।
नदियोकौ उद्गम छन पावन हिमालय।
शान हामरिं बणीं छौ के भौल हिमालय।।
जन जन की प्यास कै बुझाछौ हिमालय।
स्वच्छता जरूरी छन बचै लियो हिमालय।।
धरती कैं हरिं – भरिं बणैं दियो।
अभियान घर घर में पूजै दियो।।
हिमालय कैं मिलजुलिं बचै ल्यो।
अभियान घर घर में पूजै दियो।।…….
प्रहरी बणीं हिमालय देशकिं छूं शान।
रक्षा आब करिं ल्यो चलिं रौ अभियान ।।
हिमालय बचूंण आब भौतै यौ जरूरी छूंँ।
बिन यैक जीवन किं आश लै अधूरी छूँं।।
नान ठुल दीदी भुला धात आब लगै लियो।
हिमालय बचूंणौक शपथ सब लिं लियो।।
हिमालय कैं मिलजुलिं बचै ल्यो।
अभियान घर घर में पूजै दियो।।
हिमालय हामरीं सदा बणीं छूं शान।
हिमालय बचूंणक चलिं रौं अभियान,….
बलवंत सिंह रावत
















