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देहदान को लेकर अब भी समाज में जागरूकता की कमी, मेडिकल कॉलेजों में कैडेवर का संकट गहराया

हल्द्वानी: चिकित्सा शिक्षा में उपयोग की जाने वाली मरणोपरांत दान की गई मृत देहों (कैडेवर) की लगातार कमी से देश के अधिकांश मेडिकल कॉलेज जूझ रहे हैं। उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि बिना कैडेवर के छात्र व्यावहारिक प्रशिक्षण से वंचित रह जाते हैं, जिससे कुशल चिकित्सक तैयार करने में कठिनाई आती है।एमबीपीजी कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. संतोष मिश्र ने बताया कि उनके परिवार ने वर्ष 2013 में देहदान का संकल्प लिया था और तब से वे समाज को नेत्रदान व देहदान के लिए लगातार प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम लोग नजदीकी मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग से संपर्क कर इस पुनीत कार्य में भागीदारी निभा सकते हैं।इसी क्रम में साइंस फॉर सोसाइटी (यू) द्वारा देहदान जागरूकता कार्यक्रम आगामी 3 अगस्त (रविवार) को प्रातः 11 बजे से नगर निगम सभागार, हल्द्वानी में आयोजित किया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. दीपा देऊपा, विभागाध्यक्ष, शरीर रचना विभाग, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रहेंगी।कार्यक्रम संयोजक मदन सिंह ने बताया कि देहदान या नेत्रदान के इच्छुक लोग मोबाइल नंबर 9927511927 पर संपर्क कर सकते हैं।

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