राष्ट्रीय
अगले हप्ते से कोविड की दवा 2-DG बाजार में होगी उपलब्ध
कोरोना रोकथाम के लिए डीआरडीओ की दवा 2-DG अगले हफ्ते से बाजार में उपलब्ध होगी। भारत में निर्मित यह दवा डॉ रेड्डी लैब्स के सहयोग से बनाई गई है। पिछले दिनों ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने 2-DG दवा को कोरोना मरीजों को दिए जाने को मंजूरी दी थी। 2-DG दवा आईएनएमएएस-डीआरडीओ के दो वैज्ञानिकों डॉ. सुधीर चांदना और डॉ. अनंत भट्ट द्वारा तैयार की गई है।
इस पर डीआरडीओ के रेडिएशन बॉयोसाइंस विभाग के हेड डॉ. सुधीर चांदना ने बताया है कि 2-DG दवा दवा ग्लूकोज का ही बदला हुआ रूप है और इसको डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज ( 2-DG ) कहा जाता है। उन्होने कहा कि यह दवा वायरस की ग्रोथ को रोक देती है। उनका कहना था कि पिछले साल अप्रैल-मई में इसका एक्सपेरिमेंट करके टेस्ट किया जा चुका है।
बताया जा रहा है कि वायरस से शरीर में सेल्स इन्फेक्ट हो जाते हैं और इस कारण से शरीर ज्यादा ग्लूकोज की डिमांड करता है। और ऐसी स्थिति में मरीज को ग्लूकोज का यह बदला हुआ रूप दिया जाता है और 2-DG दवा उन सेल्स में जाता है और वायरस की ग्रोथ में रुकावट आ जाती है। और जब मरीज को सुबह शाम इसकी डोज दी जाती है तो वायरस की आगे ग्रो नही कर पाता और तब शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस को खत्म करने में मदद करता है।
2-DG दवा को फिलहाल सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने के लिये परमीशन दी गई है। यह दवा प्राइमरी मेडिसिंस के साथ सपोर्ट में यूज की जाएगी। 2-DG काफी हद तक ग्लूकोज जैसी है, लेकिन ग्लूकोज नहीं है।
कैसे काम करती है यह दवा
वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाने लगता है और और इसके लिये उसे ग्लूकोज की जरूरत होती है वही इसे ताकत मिलती है। और जब यह दवा मरीज को दी जायेगी तो वायरस इस ग्लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा जिससे वायरस अपनी कॉपीज नही बना सकेगा और उसकी ग्रोथ नही हो सकेगी।
यह दवा पाउडर के रूप में होगी तथा पानी के साथ मिलाकर उपयोग में लाई जाएगी। यह दवा मरीजों में संक्रमण की ग्रोथ को रोकती है तथा मरीजों में रिकवरी दर को तेज करने में सहायक है। यह दवा एक सैशे के रूप में उपलब्ध होगी। ORS की तरह इसे भी पानी में मिलाकर लेना है। और दिन में दो बार यह दवा दी जायेगी और 5 से 7 दिन तक इसकी डोज देनी पड़ सकती है।
इसकी कीमत को लेकर अभी कुछ स्थिति स्पष्ट नही है। नहीं कहा गया है। सूत्रों के अनुसार एक सैशे की कीमत 500 से 600 रुपये के बीच में हो सकती है। जानकारी के अनुसार पहले दौर में चयनित अस्पतालों पर दवा की 10 हजार डोज उपलब्ध कराई गई है।