उत्तराखण्ड
जमरानी बांध भावर क्षेत्र के पेयजल का एकमात्र विकल्प
हल्द्वानी। जमरानी बांध निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक नवीन वर्मा ने कहा कि जमरानी बांध के निर्माण हेतु आज केंद्रीय परियोजना घोषित करते हुए केंद्रीय कैबिनेट द्वारा वित्तीय मंजूरी मिलने का स्वागत किया है साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि बांध निर्माण का अवरोध अब समाप्त होता प्रतीत हो रहा है।
सन् 1975 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के सी पंत एवं के एल राव ने जमरानी बांध निर्माण हेतु पहल की थी। वित्तीय मंजूरी मिलने पर बांध निर्माण का द्वितीय चरण प्रारंभ हो गया था जिसमें फीडर कैनाल बननी शुरू हो गई थी काठगोदाम से गूलरभोज तक फीडर कैनल बनाने में सन् 1980 तक लगभग 27 करोड़ रूपया इस मद में खर्च किया गया। जमरानी बांध निर्माण संघर्ष समिति ने सन् 1991से 2009 तक कई बड़े आन्दोलन किए लेकिन जमरानी बांध निर्माण का कार्य राजनीति के भेंट चढ़ता रहा।
सन् 2009 में संघर्ष समिति ने एक जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय में लगाई जिसमें जनता के पैसों का दुरुपयोग करते हुए जमरानी बांध के द्वितीय चरण की फील्डर कैनालों को बनाने में करोड़ों रुपया लगा दिया गया। बाद में इन इन कैनालों में बड़े-बड़े पेड़ उग गए थे इसके लिए समिति ने टांडा जंगल में बनी नहर का उदाहरण प्रस्तुत किया था। वर्तमान में केन्द्रीय राज्यमंत्री मंत्री एवं नैनीताल के सांसद अजय भट्ट जी के अथक प्रयासों यह उपलब्धि हासिल हुई है इसके लिए समिति श्री अजय भट्ट जी का आभार व्यक्त करती है।
संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी एन सी तिवारी एवं मोहन सिंह बोरा ने जमरानी बात निर्माण हेतु वित्तीय स्वीकृति मिलने का स्वागत करते हुए कहा कि अब हमें बांध बनने की आशा जगी है। समिति के सदस्य राम सिंह बसेड़ा, लक्ष्मण सिंह रजवार, गोविंद सिंह बोरा, राहुल छिमवाल, हेमंत पाठक आदि ने भी केन्द्रीय वित्त मंजूरी का स्वागत किया है।