गढ़वाल
जिंदगी बचाने का अंतिम पड़ाव पार करने को झोंकी ताकत, थोड़ी देर का बस और इंतजार
चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने की जंग के अंतिम पड़ाव को पार करने के लिए मशीनरी ने चौतरफा ताकत झोंक दी है। जिसके बाद राहत एवं बचाव अभियान के 16वें दिन इन श्रमिकों को जल्द सकुशल बाहर निकालने की उम्मीद बलवती होती दिखी, लेकिन ये ऑपरेशन एक और दिन आग बढ़ गई।
श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सुरंग के ऊपरी हिस्से से एसजेवीएनएल वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है, जबकि सिलक्यारा की तरफ से स्टील पाइप की हॉरिजॉन्टल निकास सुरंग बनाने को रैट माइनर्स की टीम मोर्चे पर डटी है। सोमवार देर शाम तक एसजेवीएनएल ने 36 मीटर ड्रिलिंग पूरी कर ली। इस तरफ से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 86 से 88 मीटर ड्रिलिंग की जानी है।
ऑगर मशीन को काटकर निकाला गया
सुरंग के मुहाने (सिलक्यारा) की तरफ से बन रही निकास सुरंग की ड्रिलिंग के दौरान फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को भी 70 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद काटकर निकाल लिया गया है। इसके बाद निकास सुरंग के शेष हिस्से (नौ से 12 मीटर) को मैनुअल तैयार करने के लिए रैट माइनर्स की टीम मोर्चे पर लगा दी गई।
रात 11 बजे तक रैट माइनर्स ने लगभग डेढ़ मीटर सुरंग खोद ली है। इस दिशा से अब तक 49.5 मीटर सुरंग तैयार हो गई है, इसमें से 48 मीटर औगर मशीन से तैयार हो चुकी थी। श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 57 से 60 मीटर ड्रिलिंग की जानी है।
श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की कोशिश जारी
रैट माइनर्स जैसे-जैसे सुरंग खोद रहे हैं, वैसे-वैसे औगर मशीन से 800 मिमी व्यास के पाइप को भीतर धकेला जा रहा है। अधिकारियों ने दावा किया कि अभियान निर्बाध चलता रहा तो 24 से 36 घंटे के भीतर श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा। सुरंग में भूस्खलन के चलते आठ राज्यों के 41 श्रमिक 12 नवंबर से फंसे हैं। बचाव अभियान के अंतिम चरण को जल्द से जल्द पूरा कराने और श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी सक्रियता बढ़ा दी है।
पीएम और सीएम बनाए हैं नजर
सोमवार को सिलक्यारा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव डा. पीके मिश्रा और गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला ने बचाव अभियान में जुटी मशीनरी से विभिन्न मोर्चों पर किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने बचाव दलों का हौसला बढ़ाया।
साथ ही सुरंग में फंसे श्रमिकों से बात कर सभी को शीघ्र सुरक्षित निकालने का भरोसा भी दिलाया। शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उत्तरकाशी के मातली में अपने कैंप कार्यालय पहुंच गए, जहां से वह बचाव अभियान का लगातार अपडेट लेते रहे।
वर्टिकल ड्रिलिंग से जारी रहा रेस्क्यू
सुरंग की कार्यदायी संस्था नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएचआइडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद के मुताबिक, सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर चैनेज 300 से 305 के बीच रविवार को शुरू की गई 1.2 मीटर व्यास की वर्टिकल ड्रिलिंग दूसरे दिन छोटी-मोटी बाधाओं को पार कर गतिमान रही।
ड्रिलिंग के दौरान पानी भी मिला, जिसे पंप के माध्यम से निकाला गया। यह पानी भूमिगत जल नहीं है, बल्कि इसकी वजह बगल से गुजर रहा गदेरा (नाली) हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ी बाधा नहीं है।
भू-विज्ञानियों से मांगी गई जानकारी
ड्रिलिंग के दौरान कठोर चट्टानें भी मिली हैं, जिनकी प्रकृति की पुख्ता पहचान के लिए भू-विज्ञानियों से जानकारी मांगी गई है। राहत एवं बचाव अभियान के नोडल अधिकारी व सचिव डा. नीरज खैरवाल के मुताबिक, शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान फंसे औगर मशीन के 46.9 मीटर भाग (ब्लेड, साफ्ट आदि) को सोमवार शाम तक प्लाज्मा और लेजर कटर से काट लिया गया।
इसके तत्काल बाद रैट माइनर्स ने निकास सुरंग का शेष कार्य पूरा करने के लिए खोदाई शुरू कर दी। डा. खैरवाल के मुताबिक पाइप को धकेलने में कहीं बाधा महसूस हुई तो शेष भाग पर भी ड्रिफ्ट टनल बनाई जाएगी। इसके लिए 800 या 700 मिमी व्यास के पाइप को तीन हिस्सों में काटकर खोदाई वाले भाग पर छोटे-छोटे आकार में फिट कर आगे बढ़ा जाएगा।
श्रमिकों को बचाने के लिए हर साधन अपनाएंगे
पहाड़ के संकरे व घुमावदार रास्तों और धरासू बैंड से सिलक्यारा तक बदहाल यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के कारण बचाव अभियान के लिए मशीनों को सिलक्यारा पहुंचाने में चुनौती पेश आ रही है। सोमवार को वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए पाइल ड्रिलर व अन्य मशीनें लेकर आ रहे तीन ट्राले रास्ते में फंस गए, जिससे जाम की स्थिति बन गई।
एक ट्राले से मशीन सड़क पर गिर गई। इसके बाद ट्रालों को सुरक्षित स्थानों पर खड़ा करवा दिया गया। फिलहाल, वर्टिकल ड्रिलिंग जारी है। मौके पर लगभग 45 मीटर तक ड्रिलिंग के लिए संसाधन उपलब्ध हैं।
मशीनें ला रहे तीन वाहन फंसे
मौसम ने दिया साथ सिलक्यारा में चल रहे बचाव अभियान में मौसम ने भी साथ दिया। सोमवार को अधिकांश समय बादल छाए रहे। मौसम विभाग ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वर्षा की संभावना जताई थी। इससे बचाव दलों की चिंता बढ़ी हुई थी। लेकिन, मौसम अनुकूल रहने से बचाव दलों ने राहत की सांस ली।