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उत्तराखण्ड

हिमालय संगीत शोध समिति का बसंतोत्सव,आयो नवल बसंत ऋतुराज कहावे

हल्द्वानी। हिमालय संगीत शोध समिति के बसंतोत्सव में गीत संगीत की धूम रही। साथ ही परम्परागत होली बैठक का द्वितीय चरण में होल्यार जुटे ।
जे. के. पुरम मुखानी स्थित प्रशिक्षण संस्थान में कार्यक्रम का शुभारंभ पूरन चन्द्र डालाकोटी , लक्ष्मण सिंह, जी.सी.एस.बिष्ट, संगीतज्ञ डा. पंकज उप्रेती ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्नति भट्ट, आरोही भट्ट, प्रियांशी, दिव्या, जीविका, कोमल किमोठी, अनुष्का, लावण्या ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। आचार्य धीरज उप्रेती के संचालन में भाविक पाठक, नवप्रभात सिंह नंगी, अविनाश फर्शवान व साथियों ने प्रस्तुति दी-
ए मन मेरे हरिगुण गाले” डा.मोनिका त्रिपाठी का एकल नृत्य व अमृता पांडे की रचना, प्रियांशी शर्मा के एकल नृत्य ने मन मोह लिया। गीतांजलि बेलवाल की संगत में बाल कलाकारों ने कर्णप्रिय प्रस्तुति “शारदे वर दे मां” की प्रस्तुति दी।
भुवन शर्मा, राहुल तिवारी, करन जोशी व साथियों ने होली गीत की प्रस्तुति दी-
‘अब न बसंत करूं, मोरा कंत परदेश रहत”
जय तिवारी, अक्षित कमोठी, प्रखर पांडे, आयुष पाठक व साथियों की कर्णप्रिय प्रस्तुति थी– ‘जय रघुनंदन जय सियाराम” हिमानी त्रिपाठी, कनिका जोशी, किरन पोखरिया व साथियों ने राग मालकौस पर आधारित रचना ‘ऋतु राज बसंत स्वागत में ” प्रस्तुत की। शुभम पाण्डे, देव तिवारी, निमिष कांडपाल व साथियों ने राग भैरवी की रचना सुनाई। जबकि दिव्यांशी, अवनि त्रिपाठी , काव्या पांडे, प्रसिद्धि त्रिपाठी, प्रज्ञा पांडेय ने नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी।

इस मौके पर शिव शरन जोशी, निधि जोशी, कृपाल नेगी, चेतन पंत, कन्हैया लाल गुप्ता, सीएस पांडे, भुवनेश विराट, लक्ष्मण सिंह, नीरज उप्रेती, जगदीश चन्द्र जोशी आदि उपस्थित थे।

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