उत्तराखण्ड
बागेश्वर शहर को प्लास्टिक मुक्त रखने की अनूठी पहल
“यूं तो इस शहर में सब कुछ है
सब कुछ, मगर फिर भी एक बड़ी जरूरत हैं”।
बढते प्रदूषण और वैश्विक तापमान की वृद्धि से कोई नही बचने वाला, वो शहरी हो या गांव वाला।
हमारी उपभोक्ता संस्कृति ने उपभोग तो सिखाया मगर अवशेष की बदइंतजामी हमारी पीछा नही छोड़ती। साफ-सफाई का भले ही कितना बड़ा नारा लगे जमीन हक़ीक़त बिल्कुल अलग हैं। अपने वातावरण व शुद्ध हवा-पानी के लिए जाने जानी वाली पहाड़ की सुरम्य वादियां भी अब खतरे की जद में आ गयी हैं। प्लास्टिक का दिन-प्रतिदिन बढता चलन,कूड़े के ढ़ेर का बढ़ना सर्वत्र देखा जा सकता हैं। मगर कई लोग आज भी धरती की इस पीड़ा को महसूस करते हैं। ना सिर्फ महसूस करते है बल्कि बिना आगे इंतज़ार किये पहल भी करते चले आ रहे है। कहने का मतलब है उम्मीद एक छोटे से चिराग से निकली है। अगर इस मिशन को सरकार के साथ-साथ आमजन का सहयोग मीले तो कचड़े के इस ढ़ेर को उचित निस्तारण कर स्वच्छ भारत के साथ चला जा सकता हैं।
बागेश्वर निवासी भूपेंद्र जोशी, बबलू ने प्लास्टिक को लेकर एक नई अभिनव पहल की ठानी है। सब्जी विक्रेता बबलू जोशी लोंगो से अपील करते हैं एक किलो प्लास्टिक के थैले में घर व बाहर प्रयोग किये गए बोतल,रैपर,व अन्य प्लास्टिक निर्मित सामान को दुकान में लाइये और इसके बदले एक किलो फल मुफ्त पाइए।उनके इस प्रयास की काफी सराहना हो रही है। उन्होंने बताया उत्तराखंड सरकार में भी जस प्रकार के कदम की बात चल रही हैं। शहरी विकास सचिव शैलेश बैगोली ने भी बबलु जोशी के इस प्रयास की प्रशंसा की है। आखिर शहर को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी तो हर नागरिक की हैं। पालिका भी अपने स्तर से प्रयासरत है। जब तक हम उपभोग की हुई चीज को उपयुक्त जगह कूड़ादान,तक नही पहुचाते है इसके आगे बढने में संशय बना रहेगा। हमे इस मिशन को अपनी आदत में शुमार करना पड़ेगा। तभी हम अपने शहर को स्वच्छ रख सकते है और अपना जीवन स्तर ऊंचा कर सकते है।
ब्यूरो रिपोर्ट पर्वत प्रेरणा