उत्तराखण्ड
उत्तराखंड के इस पुल से चीन को मिलेगी चुनौती व नेपाल से गहरे होंगे रिश्ते, आईआईटी दिल्ली बनाएगा डिजाइन
पिथौरागढ़ में यह सीमा अंतरराष्ट्रीय रूप से अतिमहत्वपूर्ण है। यहां एक साथ भारत नेपाल और चीन की सीमाएं मिलती हैं। ऐसे में चीन से लगातार तनातनी में उसे चुनौती और नेपाल से रिश्तों को बेहतर बनाने में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा। धारचूला के छारछुम में पुल निर्माण होना है। पुल की लागत 4887. 26 लाख रुपये तय की गई है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील में काली नदी पर पुल निर्माण की स्वीकृति देकर सीमांत को सामरिक, सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से और मजबूत कर दिया है। इसी के साथ यह नेपाल से जुडऩे वाला प्रदेश का दूसरा मोटर पुल होगा। ऐसे में यहां से नेपाल तक वाहनों की आवाजाही हो सकेगी।
अभी तक पिथौरागढ़ से नेपाल के लिए आवाजाही सात झूला पुलों से होती है। यहां से प्रतिदिन चार से पांच हजार लोग आवाजाही करते हैं। वैसे भी यह सीमा अंतरराष्ट्रीय रूप से अतिमहत्वपूर्ण है। यहां एक साथ भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं मिलती हैं। ऐसे में चीन से लगातार तनातनी में उसे चुनौती और नेपाल से रिश्तों को बेहतर बनाने में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार धारचूला के छारछुम में पुल निर्माण होना है। पहले इसका निर्माण झूलाघाट में होना था। लेकिन पंचेश्वर बांध डूब क्षेत्र होने से इसके लिए बुलवाकोट से धारचूला के मध्य छारछुम का चयन किया गया। दोनों देशों की सरकारों ने इसपर सहमति जताई। भारत में लोक निर्माण विभाग को पुल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 110 मीटर लंबे मोटर पुल की लागत 4887. 26 लाख रुपये तय की गई है।
चीन की विस्तारवादी नीति के लिए पिथौरागढ़ में लगती सीमा को भारत निरंतर मजबूत करता आ रहा है। लिपूलेख तक आलवेदर रोड करीब करीब तैयार होने को है। वहीं अब इस पुल के बनने के बाद सैन्य साजो सामान चीन-नेपाल बार्डर तक ले जाना संभव होगा। इसके अलावा चीन ने काफी हद तक भारत-नेपाल रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश करता रहता है। अब इस पुल के बन जाने से सीधे नेपाल व पिथौरागढ़ से रोड से जुड़ाव हो जाएगा। इससे भारत-नेपाल के रिश्तों में मजबूती आएगी साथ ही पिथौरागढ़ को भी आर्थिक, सामाजिक गतिविधियां बढ़ने का फायदा मिलेगा।
“कार्यदायी विभाग प्रांतीय खंड लोनिवि अस्कोट के अनुसार पुल की डिजाइन के लिए आइआइटी दिल्ली के इंजीनियरों ने स्थलीय निरीक्षण किया है। डीपीआर स्वीकृति के लिए आइआइटी दिल्ली में ही भेजा गया है।लोनिवि अस्कोट के अधिशासी अभियंता वीके सिन्हा ने बताया कि मोटर पुल निर्माण के लिए सभी तैयारी पूरी है। शासनादेश प्राप्त होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा। निर्धारित समय पर मोटर पुल तैयार होगा।”