उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड: भाजपा के वायदों पर कांग्रेस का पलटवार
देहरादून। उत्तराखण्ड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में धांधली को लेकर अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं के रोजगार को प्राथमिकता देने का वायदा किया था। साथ ही अपने मेनिफेस्टो में महिलाओं, युवाओं के रोजगार और कानून व्यवस्था पर विशेष फोकस किया था। लेकिन उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में जो बात कही थी, उस पर अब कुछ नए तथ्य सामने आ रहे हैं। जिसको लेकर अब कांग्रेस निशाना साध रही है।
गौरतलब है कि चुनाव के दौरान करीब 24,000 खाली पदों को भरने की बात कही गई थी। अब सरकार का मानना है कि राज्य में 12,000 पद ही खाली हैं। हालांकि 7000 पदों पर विज्ञप्ति निकालने का दावा किया जा रहा है। इस लिहाज से भी देखा जाए तो राज्य में रिक्त पदों को लेकर हजारों पदों का अंतर दिखाई दे रहा है, जिस पर कांग्रेस अब सवाल खड़े कर रही है। राज्य में इन दिनों रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
प्रदेश में भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद के तहत दी जा रही नौकरियों के खिलाफ बेरोजगार सड़कों पर उतर आए हैं। जाहिर है कि सरकार पर अब बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए भारी दबाव है। जिस तरह रोजगार के मुद्दे पर तमाम युवा एक आंदोलन खड़ा करने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं, और सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ जमकर युवा अपनी बात रख रहे हैं, उसके बाद सरकार कोई बड़ा कदम उठाकर युवाओं की इस नाराजगी को दूर करना चाहती है।
बड़ी बात यह है कि भाजपा सरकार ही राज्य में 50,000 युवाओं को रोजगार देने की बात चुनाव से पहले कहती नजर आई थी। जिसमें करीब 24,000 खाली पदों को भरने की बात भी कही गई थी। लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का वह बयान चर्चाओं में है, जिसमें उन्होंने राज्य में 12,000 सरकारी नौकरियों के पद खाली होने की बात कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि करीब 7000 पदों पर आयोग के माध्यम से विज्ञप्ति जारी कर दी गई थी। इन पदों को भी मिला लिया जाए तो ऐसा लगता है, कि राज्य में रिक्त पदों को लेकर हजारों की संख्या में कैंची चलाई गई है। बस इसी बात को लेकर विपक्ष भी अब सक्रिय दिखाई दे रहा है। हालांकि सरकार अब मौजूदा दबाव के चलते कुछ बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस बात का इशारा खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने फिलहाल धांधली के चलते जांच के कारण भर्ती नहीं होने की परिस्थितियों को देखकर इन परीक्षाओं को किसी दूसरी संस्था से कराने का निर्णय लिया है। उस पर जल्द ही कैबिनेट में भी कोई फैसला हो सकता है।
बताया जा रहा है कि समूह ‘ग’ की भर्तियां भी लोक सेवा आयोग या कोई दूसरी संस्था करवा सकती है। लेकिन एक सवाल यह है, कि जिस तरह आयोग के अधिकारी जांच में फंसे हैं, उसके बाद कैसे सरकार बड़ी संख्या में युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध करवा पाएगी और घोषणा पत्र में किए गए वादों को कैसे पूरा किया जाएगा। यह भी सच है, कि लोक सेवा आयोग भी इतना सक्षम नहीं है, कि हजारों नौकरियों को कुछ महीनों में ही प्रक्रिया पूरा कर युवाओं को रोजगार दे सके। इस बीच कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं, और भाजपा सरकार द्वारा युवाओं को भ्रमित करने की बात कही है।
इतना ही नहीं जिस तरह रोजगार देने की बात कही जा रही है, उसमें कांग्रेस भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाकर धामी सरकार के उस बयान को भी आड़े हाथ ले रही है, जिसमें रिक्त पदों की संख्या को कम बताया गया है।