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उत्तराखण्ड

भूकंप के खतरे से निपटने के लिए उत्तराखंड ने लॉन्च किया भूदेव एप, जानिए कैसे काम करेगा

उत्तराखंड में भूकंप से सुरक्षा के लिए एक नई पहल की जा रही है। राज्य के आपदा विभाग ने भूदेव एप (BhuDev) को विकसित किया है, जो भूकंप आने से पहले कुछ सेकंड पहले लोगों को अलर्ट करेगा। जनवरी 2025 में उत्तरकाशी जिले में हुए लगातार भूकंपों के बाद, राज्य के आपदा विभाग ने इस एप की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। यह एप अभी पूरी तरह से सक्रिय नहीं है, लेकिन फरवरी के अंत तक इसे सक्रिय किया जाएगा और मार्च महीने से इस एप को लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य शुरू किया जाएगा।

उत्तराखंड राज्य, जो भूकंप की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है, में आमतौर पर छोटे भूकंप आते रहते हैं, लेकिन हाल ही में एक बड़ा भूकंप आने की संभावना जताई जा रही है। राज्य में भूकंप की घटनाओं के कारण लोग अधिक सतर्क हो गए हैं, और आपदा विभाग भी इसे लेकर कड़े उपायों की योजना बना रहा है। आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, पिछले महीने उत्तरकाशी में कई बार भूकंप के झटके महसूस हुए थे, और आमतौर पर एक महीने में तीन से चार छोटे भूकंप आते हैं, जिनसे कोई बड़ा खतरा नहीं होता। हालांकि, लंबे समय से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे आने वाले समय में बड़े भूकंप के आने की संभावना बढ़ गई है।

आपदा विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस विषय पर बैठक आयोजित की, जिसमें भूकंप से बचाव के उपायों पर चर्चा की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भूकंप की जानकारी देने के लिए अधिक सेंसर लगाए जाएंगे और सायरन की व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जाएगा। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया है।

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भूदेव एप के जरिए लोगों को भूकंप आने से 5 से 20 सेकंड पहले अलर्ट मिल सकेगा, जिससे वे बचाव के उपाय कर सकेंगे। एप को स्मार्टफोन में डाउनलोड करके लोग समय रहते सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं। आपदा सचिव ने बताया कि भूकंप की दो प्रमुख वेव्स होती हैं – प्राइमरी वेव और सेकेंडरी वेव। प्राइमरी वेव की गति 6 से 7 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है, जबकि सेकेंडरी वेव की गति 3 से 3.5 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। जैसे ही प्राइमरी वेव सेंसर तक पहुंचती है, एप के जरिए अलर्ट जारी कर दिया जाएगा, और सेकेंडरी वेव तक पहुंचने से पहले लोगों को 10 से 15 सेकंड का समय मिल जाएगा।

वर्तमान में एप में कुछ तकनीकी समस्याएं आ रही हैं, जिनका समाधान किया जा रहा है। मार्च के पहले हफ्ते से इस एप का प्रचार-प्रसार तेज कर दिया जाएगा, ताकि राज्य के अधिक से अधिक लोग इसे डाउनलोड कर सकें और भूकंप से पहले अलर्ट प्राप्त कर सकें।

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