Connect with us

उत्तराखण्ड

प्रमुख राज्य आंदोलनकारी कैलाश पाठक को कब मिलेगा न्याय

हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में जिन लोगों नें सक्रियता के साथ संघर्ष किया उनका नाम राज्य आन्दोलनकारियों की सूची से बाहर कैसे रह गया यह बड़ा सवाल है।
पिथौरागढ जिले के गंगोलीहाट पठक्यूड़ा निवासी कैलाश चन्द्र पाठक जो कि उस दौर के प्रमुख राज्य आंदोलनकारियों की सूची में रहे हैं उन्हें आज तक राज्य आंदोलनकारी का दर्जा न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। चिन्हितकर्ताओं को इस बात का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। पर्वत प्रेरणा न्यूज ने पिछले अंक में जब इस मामले को उजागर किया तो अनेकों लोगों ने अपनी प्रतिक्रया देते हुए कहा कैलाश पाठक का नाम कैसे छूट गया, इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए तत्काल प्रभाव से उनको राज्य आंदोलनकारी का दर्जा देने की मांग की।

गौरतलब है की अलग राज्य गठन के बाद आंदोलन से दूरी बनाने वाले कांग्रेस और भाजपा से जुड़े कई लोगों को राज्य आंदोलनकारी घोषित किया गया लेकिन प्रमुख राज्य आंदोलनकारियों को 23साल भी उनका हक नहीं दिया गया है। राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राज्य आंदोलनकारियों के साथ आंदोलन में शामिल रहे कई नेता आज सत्ता और विपक्ष में बैठे हैं। वह व्यक्तिगत रूप से चिह्नीकरण से वंचित राज्य आंदोलनकारियों को अपना आंदोलन का साथी बताते हैं और उन्हें हक दिए जाने की बात कबूल करते हैं लेकिन सदन में प्रमुखता से वंचित राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे को नहीं उठा रहे हैं। मौजूदा सरकार ने पिछले साल दिसंबर तक वंचित आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की तिथि घोषित की थी। नैनीताल जिले में 87 आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण भी किया गया लेकिन एकाएक सरकार ने अन्य जिलों में चिह्नीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। ऐसे में आज भी आंदोलनकारियों की फाइल शासन और जिलाधिकारियों के दफ्तरों में धूल फांक रही
है। बताया जाता है कि राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के लिए नौकरशाहों ने कुछ ऐसे पैरामीटर बनाए हैं जिन पर प्रमुख राज्य आंदोलनकारी खरे नहीं उतर रहे हैं। नौकरशाहों के भरोसे राज्य आंदोलनकारियों को छोड़ा जाएगा तो वास्तविक हकदार को कभी भी हक नहीं मिल पाएगा। जमीनी स्तर पर आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की ईमानदार पहल की जाए तो कहीं हद तक वास्तविक आंदोलनकारियों को न्याय मिल पाएगा। इसके लिए राज्य सरकार को भी चिह्नीकरण के मौजूदा नियमों को शिथिल करना चाहिए।
“राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण नहीं हुआ है। वंचित राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के लिए राज्य सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री तक यह मामला पहुंचाया गया है। वंचित प्रमुख आंदोलनकारियों को
न्याय दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। नौ नवंबर को मुख्यमंत्री वंचित आंदोलनकारियों के लिए कोई सकारात्मक निर्णय लेंगे, उनसे आग्रह किया जाएगा।
राम सिंह कैड़ा
विधायक भीमताल एवं
प्रमुख राज्य आंदोलनकारी

यह भी पढ़ें -  जंतु विज्ञान के प्रोफेसर नें राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य पर लगाया प्रताड़ित करने का आरोप

“मुझे बड़ा दुख होता है ,जब मैं कुमाऊं विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष था ।उसे दौरान हमने हर क्षेत्र में दौरा किया, मैं जब गंगोलीहाट दौर में था कैलाश पाठक जी की उत्तराखंड आंदोलन वह पत्रकार सहित अहम भूमिका निभा रहे थे में।बल्कि वही निर्मल पंडित जी किसी मामले में एसडीएम को दुखी कर रखा था ,तो मैंने निर्मल पंडित जी को समझने की कोशिश तथा पाठक जी ने भी समझाया ।इन्हें तो बहुत पहले ही उत्तराखंड आंदोलनकारी घोषित कर देना चाहिए। यह बड़ा दुर्भाग्य है, राज्य का जो वास्तव में आंदोलनकारी रहे हैं जिन्हें आहम भूमिका निभा रखी है। ऐसे लोगों का छूटना या उत्तराखंड राज्य के लिए हित में नहीं है। सरकार इन्हें तुरंत इन्हें आंदोलनकारी घोषित करें।”
डां गणेश उपाध्याय
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एवं
प्रमुख राज्य आंदोलनकारी

(शेष पढ़े अगले सप्ताह..)

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News