उत्तराखण्ड
सड़क से वंचित पतलचौरा गांव में घायल महिला को डोली से पहुंचाया अस्पताल
कनारीछीना/अल्मोड़ा। भैसियाछाना विकासखंड के पतलचौरा गांव की 40 वर्षीय भावना देवी उस समय गंभीर रूप से घायल हो गईं, जब वह जंगल में गाय-बकरियों को चराने गई थीं। ऊपर से अचानक पत्थर गिरने से उनके पैर में गंभीर चोट आ गई।
परिजन किसी तरह उन्हें घर लाए और फिर डोली की मदद से करीब पांच किलोमीटर का जोखिम भरा रास्ता पार कर कनारीछीना तक लाए। वहाँ से उन्हें प्राथमिक चिकित्सा के लिए गनाई अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनके पैर में प्लास्टर चढ़ाया।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पतलचौरा गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। मरीजों या गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाना गांववालों के लिए एक चुनौती बना हुआ है। गांव से कनारीछीना बाजार तक ढाई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और उतनी ही ढलान है, जिसे बीमार या घायल व्यक्ति को डोली या खच्चरों के सहारे पार करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व कनारीछीना-बिनूक-पतलचौरा सड़क मार्ग की घोषणा तत्कालीन विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ने की थी। वन विभाग से अनुमति और सर्वेक्षण पूरा होने के बावजूद आज तक बजट स्वीकृत नहीं हो पाया है। इस कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि कई बार प्रसव पीड़िताओं को अस्पताल ले जाते समय जंगल में ही बच्चों का जन्म हो चुका है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनुसूचित जाति बाहुल्य यह गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि सड़क निर्माण को शीघ्र शुरू किया जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में मरीजों को सुरक्षित तरीके से अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने चेताया कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन किया जाएगा।

