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उत्तराखण्ड

देवभूमि में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता

देहरादून। पिछले कुछ सालों से उसी उत्तराखंड में बेटियों (महिलाओं) के उत्पीडऩ, उनके साथ रेप, हत्या, दहेज हत्या, अपहरण, वेश्यावृत्ति, घरेलू हिंसा के समाचार हर दिन मीडिया की सुर्खियाँ बन रहे हैं। महिला जहांँ काम करने जाती है खेत में, जंगल में, कार्यालय में,बाजार में वहीं उसकी सुरक्षा का भरोसा डगमगाता सा जा रहा है। अपने कहे जाने वाले लोग ही कई बार पीडि़त महिला के प्रति गंभीर अपराध में लिप्त पाए गए हैं। देवभूमि उत्तराखंड में महिलाओं के प्रति बढते अपराध चिंता पैदा करने वाले हैं।

उत्तराखंड में नन्दा (नन्दा देवी) को कैलाश उनके ससुराल भेजने की नंदा राज जात की महिला केन्द्रित परम्परा बहुत पुरानी है। इस लोकोत्सव में नन्दा को उनके यात्रा मार्ग में विदाई देते युवा, वृद्ध और यहाँ तक कि 10-10, 12-12 साल के बच्चे भावुकता में पसीज रहे होते हैं, उसे देखकर बेटियों से गहन लगाव की सहज ही अभिव्यक्ति होती है, परन्तु पिछले कुछ सालों से उसी उत्तराखंड में बेटियों (महिलाओं) के उत्पीडऩ, उनके साथ रेप, हत्या, दहेज हत्या, अपहरण, वेश्यावृत्ति, घरेलू हिंसा के समाचार हर दिन मीडिया की सुर्खियाँ बन रहे हैं।
महिला जहांँ काम करने जाती है खेत में, जंगल में, कार्यालय में,बाजार में वहीं उसकी सुरक्षा का भरोसा डगमगाता सा जा रहा है। अपने कहे जाने वाले लोग ही कई बार पीडि़त महिला के प्रति गंभीर अपराध में लिप्त पाए गए हैं। देवभूमि उत्तराखंड में महिलाओं के प्रति बढते अपराध चिंता पैदा करने वाले हैं।

वनंतरा रिजॉर्ट में महिला अपराध की ताजा घिनौनी खबरों ने लोगों की चिंताएँ और बढा दी हैं। यही वह रिजॉर्ट है, जिसमें डोभ श्रीकोट (पौड़ी जिला) की निवासी अंकिता भंडारी की हत्या की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
पुलिस जाँच और वनंतरा रिजॉर्ट के कर्मचारियों के पुलिस को दिए गए बयानों से साफ संकेत मिल रहा है कि वनंतरा रिजॉर्ट सफेदपोशों और अवैध धंधे करने वालों की अय्याशी का अड्डा बना हुआ था। अंकिता भंडारी हत्या मामले में मुख्य आरोपी रिजॉर्ट का स्वामी पुलकित आर्य हरिद्वार के पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का पुत्र है।

पौड़ी जिले में यमकेश्वर विधानसभा और ऋषिकेश के नजदीक गंगा भोगपुर स्थित वनंतरा रिजॉर्ट की कर्मचारी अंकिता भंडारी(19 वर्ष) को रिजॉर्ट में आने वाले खास मेहमानों को विशेष सेवा देने के लिए रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य की ओर से लगातार पड़े दबाव और धमकी का अंकिता ने बहादुरी से प्रतिरोध किया, परन्तु एक दिन अंकिता की लाश चीला नहर में मिली।

वनंतरा रिजॉर्ट में 19 साल की अंकिता भंडारी 10 हजार रुपए के मासिक पगार पर रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी, परन्तु नौकरी लगे एक माह भी पूरा नहीं हुआ था कि वह 18-19 सितंबर, 2022 से अचानक गायब हो गई, जिसकी सूचना रिजॉर्ट के मालिक ने क्षेत्र के पटवारी वैभव प्रताप को दी परन्तु पटवारी ने खोज-खबर के बजाए अवकाश पर जाने की राह पकड़ी। 22 सितम्बर को अंकिता भंडारी की गुमशुदगी का मामला रेगुलर पुलिस के पास आया और 23 सितंबर को पुलिस ने वनंतरा रिजॉर्ट के स्वामी पुलकित आर्य, रिजॉर्ट के प्रबन्धक अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर तीन आरोपियों को अंकिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।

पुलिस ने जब पूछताछ की तो उन्होंने हत्या की बात स्वीकार कर ली थी। आरोपियों की निशानदेही पर ही अंकिता का शव 24 सिंतबर को चीला नहर से बरामद किया गया था। अंकिता का शव गोताखोरों द्वारा काफी ज्यादा प्रयास के बाद ही बरामद किया जा सका।
हत्या के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का संबंध सत्तारूढ भाजपा से जुड़े रहे रसूखदार परिवार से है, इसलिए उत्तराखंड और देश को झकझोरने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड की जाँच पर अनेक ओर से पैनी निगाहें लगी हुईं हैं। अंकिता भंडारी हत्या मामले की जाँच पुलिस उपमहानिरीक्षक पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में गठित एसआइटी के जिम्मे है और सरकार ने हाईकोर्ट में इस मामले की जाँच फास्ट ट्रैक कोर्ट से कराने की गुहार भी लगाई।

हालांकि चीला नहर से अंकिता का शव बरामद होने के बाद सात सप्ताह बीत चुके हैं और एसआइटी जाँच में लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। अंकिता भंडारी के माता-पिता ने नैनीताल उच्च न्यायालय में अर्जी देकर मामले की सीबीआइ से जाँच कराने की गुहार लगाई है।
अब तक इस कांड के पीछे की कई पर्तें सामने आने के बाद ये आशंका भी गहरा गई है। कि उत्तराखंड के एकांत इलाकों में अक्सर पंचायत और वन विभाग की जमीनों को अवैध रूप से कब्जा कर पर्यटन के नाम पर फल-फूल रहे कई रिजॉर्ट और गेस्ट हाउस कानून और समाज से इतने बेखौफ क्यों हो गए हैं? इनके कर्ता धर्ता कौन हैं, उन्हें गैरकानूनी तरीके से जगह हथियाने से लेकर काले कारनामों को अंजाम देते हुए कानून के राज का डर क्यों नहीं रहा? सत्ता के नशे में पाशविक श्रेणी में गिर चुके कुछ सफेदपोशों, अवैध धंधों के माफिया चेहरों और इन दोनों के गठजोड़ के संगत में आनंद महसूस करने वाले अधिकारियों को वनंतरा जैसे रिजॉर्ट सैर सपाटा के केन्द्र हैं, यही एक बड़ी वजह कही जा रही, जिससे समय रहते इनके काले कारनामों का भंडाफोड़ नहीं होता और कर्मचारियों के शोषण से लेकर महिलाओं को वेश्यावृत्ति में धकेलने से ये बाज नहीं आ रहे।

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अंकिता भंडारी हत्या मामले में मुख्य आरोपी वनंतरा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य और बड़े भाई अंकित आर्य दोनों वर्षों से सत्तारूढ भाजपा के सदस्य रहे, परन्तु अंकिता हत्या मामले में पुलकित आर्य के आरोपी बनाए जाने के बाद 24 अक्टूबर को भाजपा ने दोनों को पार्टी से बाहर कर दिया।

अंकित आर्य भाजपा सरकार में उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष थे, उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था, जबकि विनोद आर्य निवर्तमान भाजपा सरकार में उत्तराखंड माटी बोर्ड के अध्यक्ष थे और उन्हें भी राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। पुलकित आर्य के पिता डॉ. विनोद आर्य की हरिद्वार में स्वदेशी आयुर्वेद फार्मेसी है। उनके, भाजपा के दून से दिल्ली तक के नेताओं से गाढे संबंध रहे हैं।

जेल में बंद अंकिता की हत्या के तीनों आरोपियों को पुलिस ने 23 सितम्बर को ही गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद की जाँच की प्रगति के बारे में ज्यादा किसी को पता नहीं है। इस बीच कई तरह की बातें सामने आई हैं, जिनसे आशंका है कि कहीं अंकिता भंडारी हत्याकांड में किसी को बचाने की कोशिश तो नहीं हो रही, क्योंकि सवाल ये भी है कि आखिर पुलकित आर्य बार-बार अंकिता पर किस विशेष व्यक्ति के लिए यौनिक सेवाएँ देने को दबाव बना रहा था? लड़कियों को विशेष अतिथियों के शयनकक्ष में भेजने को बाध्य करने के घृणित कर्म में लगे पुलकित और उसके सहायकों के पास कई राज हो सकते हैं, जिनसे कई रहस्य खुल सकते हैं। यह भी आशंका है कि अंकिता भी इन राजों को जान गई थी, इसलिए उसकी आवाज को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।

इस बारे में उत्तराखंड महिला मंच ने अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल जैसे संगठनों की महिला सदस्यों से मिलकर अंकिता भंडारी हत्या मामले में तथ्यान्वेषण की कवायद भी की है। उनका एक दल अंकिता के गाँव में परिवार वालों और ग्रामीणों के पास भी गया, जबकि एक अन्य दल ने वनंतरा रिजॉर्ट और चीला के आस-पास के लोगों से मिलकर तथ्यों को एकत्रित किया।

महिला संगठनों का कहना है कि उनका उद्देश्य अंकिता हत्या मामले में मृतक और उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए सही और न्यायपूर्ण जाँच करवाना है। महिला संगठनों का कहना है कि जिस दिन पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारियों को पुलिस ने अंकिता हत्या मामले में दबोचा ठीक उसी दिन रात्रि में वनंतरा रिजॉर्ट में बुल्डोजर चलाया गया, यह सबूतों को मिटाने का काम है।

इस बारे में याद रखना जरूरी है कि 23 सितम्बर की अद्र्धरात्रि और उसके बाद के घंटों में जिला प्रशासन पौड़ी के एक अधिकारी के निर्देश पर जेसीबी से वनंतरा रिजॉर्ट के कुछ हिस्सों को तोड़ दिया गया जबकि अंकिता की हत्या की पृष्ठभूमि की कहानी के केन्द्र माने जा रहे वनंतरा रिजॉर्ट में अभी सबूत जुटाने का काम प्रारम्भिक चरण में ही था, यद्यपि पुलिस का कहना है कि रिजॉर्ट के कमरों और आस-पास की जगह की अच्छी प्रकार जाँच कर ली गई थी।

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बुल्डोजर मामले में यमकेश्वर विधायक रेणु बिष्ट और जिला प्रशासन ने एक-दूसरे की तरफ अंगुली भी उठाई। यह भी कहा गया है कि भारी जनविरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री ने जल्दबाजी में आरोपी पुलकित आर्य के अवैध रिजॉर्ट पर बुल्डोजर की कार्यवाही का दाव खेला, परन्तु जल्दबाजी का यह फैसला सवाल तो छोड़ ही गया है।

दरअसल, उत्तराखंड में महिलाओं की सनसनीखेज तरीके से हत्या के ऐसे कई मामले हैं जिनमें पुलिस वर्षों बाद भी अपराधियों की पहचान कर उन्हें सजा नहीं दिला सकी। पुलिस के साक्ष्य अदालत में नहीं टिक पाए फलत: आरोपी बरी हो गए, ये भी कहा जा सकता है कि पुलिस हत्यारे तक पहुँच ही नहीं पाई। इसलिए अंकिता भंडारी हत्या के मामले में जिस तरह से रसूखदार परिवार का सदस्य मुख्य आरोपी है, अंकिता का परिवार समेत परिवार के हमदर्द राज्य सरकार से लगातार अंकिता मर्डर केस की जाँच सीबीआइ को सौंपने की मांग कर रहे हैं।

याद रहे कि देहरादून में आज से 13 वर्ष पहले 25 मई 2009 को डीएम आवास के बाहर बोरे में अंशु नौटियाल की लाश मिलने की सनसनीखेज और दुस्साहसिक वारदात हुई थी। कैंट क्षेत्र के श्रीदेवसुमन नगर निवासी इंद्रमणि नौटियाल की बेटी अंशु नौटियाल (21 वर्ष) 2009 में डीएवी कॉलेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। घर की आर्थिक स्थिति में हाथ बंटाने के लिए अंशु ने मोती बाजार में एक पीसीओ में नौकरी शुरू की और शाम को पाँच बजे पीसीओ से नौकरी के बाद वह कनॉट प्लेस में कंप्यूटर कोर्स करने जाती थी।

मगर 23 मई 2009 को वह घर नहीं पहुँची। परिजनों ने तलाश किया, मगर उसका कुछ पता नहीं चला। उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई। दो दिनों बाद डीएम आवास के बाहर एक बोरे में उसकी लाश मिली। इस घटना से दून में जबर्दस्त उबाल आया, करीब दो महीने तक दून में अंशु के हत्यारों को सिखंचों में लाने की मांग होती रही, जाँच सीबी-सीआइडी को भी सौंपी गई, परन्तु आज तक किसने और क्यों अंशु नौटियाल की हत्या की यह पता नहीं चला है। जिसे हत्या का अभियुक्त बनाकर मुकदमा चला उसके खिलाफ पुलिस कोई भी ठोस साक्ष्य या गवाह प्रस्तुत नहीं कर सकी।

अपर जिला एवं सेशन जज/एफटीसी (प्रथम) केके शुक्ला की कोर्ट ने हत्या के आरोपी को बरी कर दिया था। इसी तरह, पूनम की हत्या हल्द्वानी का एक ऐसा हत्या का मामला था, जो अभी तक अनसुलझा है। 27 अगस्त 2018 की रात हल्द्वानी के मंडी चौकी क्षेत्र के गोरापड़ाव में ट्रांसपोर्टर लक्ष्मी दत्त पांडे के घर में उनकी पत्नी पूनम और बेटी अर्शी पर अज्ञात लोगों ने धारदार हथियार से हमला कर दिया था, जिसमें पूनम की मौत हो गई थी, जबकि बेटी कई दिनों तक अस्पताल में मौत से जूझती रही। देहरादून तक गूँजा यह सनसनीखेज हिंसक कांड पुलिस के लिए आज भी रहस्य है।

पूनम हत्याकांड के पर्दाफाश के लिए पुलिस की कई टीमें मशक्कत करती रही, मगर वारदात से पर्दा नहीं उठ सका। इस हत्याकांड में बड़े परिवारों के लोगों के नाम भी सामने आए थे। पुलिस ने पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में भी लिया था लेकिन कोई सुबूत न मिलने पर उन्हें छोड़ दिया गया था। कोई कहता है कि बड़े लोगों को बचाया गया तो कुछ लोगों ने कहा इसमें अपने ही शामिल थे।

उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित एसआइटी भी वारदात का पर्दाफाश नहीं कर सकी। पूनम हत्याकांड का पर्दाफाश न होने से आज तक हत्या का कारण और हत्यारे के बारे में किसी को नहीं पता चल सका। इसलिए इस हत्याकांड को लेकर कई चर्चाएँ होती रहती हैं, पर हकीकत क्या है यह अभी तक सामने नहीं आ पाया है।

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