उत्तराखण्ड
कुंभ को प्रतीकात्मक बनाने की वजह से नहीं गई कुर्सी- त्रिवेंद्र
उत्तराखंड सरकार के द्वारा अब तक का सबसे बड़ा और आस्था से जुड़ा धार्मिक कार्य महाकुंभ.
उत्तराखंड सरकार के द्वारा महाकुंभ का आयोजन किया था, जिसके बाद से कोरोनावायरस की दूसरी लहर के चलते राज्य में दिन-प्रतिदिन कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ते गए । राज्य में इस समय संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ गई है । अस्पतालों में अभी भी एक मरीज के लिए बिस्तर खाली नहीं है, ऐसे में क्या महाकुंभ को प्रतीकात्मक रखा नहीं जा सकता था या फिर महाकुंभ को कुछ समय के लिए स्थगित नहीं किया जा सकता था । बता दे कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने महाकुंभ को प्रतीकात्मक रखने का प्रयास किया था, लेकिन यही कोशिश उनकी कुर्सी लील गई। चार साल का कार्यकाल पूरा होने के महज 9 दिन पहले त्रिवेंद्र से इस्तीफा ले लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट में बीजेपी के बड़े नेताओं और अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों से हुई बातचीत के बाद ऐसा दावा किया गया था कि महाकुंभ को सीमित रखने की कोशिश और साधु समाज की नाराजगी के चलते ही त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। हालांकि अब इन तमाम चर्चाओं को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना पक्ष साफ कर दिया है।टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखने के चलते उन्हें सीएम पद से हटाए जाने की चर्चा तथ्यपूर्ण नहीं है।
कोविड-19 को लेकर परिस्थितियां जिस कदर गंभीर थी, उसे देखते हुए कुंभ मेले के आयोजन के लिए जो भी उचित स्वरूप हो सकता था, उस पर साधु समाज सहमत था। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने महाकुंभ के सुपर स्प्रेडर साबित होने के सवाल पर भी अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि मुझे गंभीरता का अंदाजा था। इसलिए मेरी सरकार इसे लेकर सतर्क थी और उसी के हिसाब से योजना बना रही थी। अब फैक्ट्स सबके सामने हैं, तो इस बारे में मेरा बोलना सही नहीं है। त्रिवेंद्र ने साफ तौर पर कहा कि उनकी सरकार “प्रतीकात्मक कुंभ” के पक्ष में थी, जिस पर साधु समाज ने सहमति जताई थी। पीएम मोदी ने भी इसे लेकर संतोष जताया था। ऐसे में उन्हें कुंभ को सीमित करने की वजह से हटाए जाने की बात सही नहीं है।