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उत्तराखण्ड

कुछ देर और काली का पानी थमता तो तपोवन से हंसेश्वर तक बदल जाता भूगोल

धारचूला (पिथौरागढ़)। भारत और नेपाल में दो स्थानों पर बादल फटने से ऊफनाएं नालों ने काली नदी का प्रवाह बाधित कर दिया था। एनएचपीसी की 280 मेगावाट की धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना के प्रशासनिक कार्यालय, कालोनी तपोवन के सामने नेपाल के क्षीरबगड़ में काली नदी में मिलने वाले नाले के मलबे ने काली नदी का प्रवाह बाधित कर दिया।

पलक झपकते ही काली नदी का पानी तपोवन में बीस मीटर तक भर गया। परियोजना का प्रशासनिक कार्यालय , आवास सहित अन्य भवनों के दुमंजिले तक पानी भर गया। यहां पर रहने वाले लोग तीसरी मंजिल की छत पर चले गए और भगवान से प्रार्थना करने लगे।
गनीमत रही कि उत्त्तराखंड की जल रिसोर्स वाली काली नदी के वेग से मलबा हटने लगा और बहाव होने लगा। काली नदी का जल स्तर काफी अधिक बढ़ गया। इस दौरान इसकी सूचना तपोवन से धारचूला तहसील प्रशासन को दे दी गई। रात्रि ढाई बजे से तीन बजे के बीच प्रशासन, पुलिस और एसएसबी , राजस्व विभाग सक्रिय हो गए । काली नदी के किनारे रहने वाले लोगों को माइक लगा कर जागरू क किया गया। नदी किनारे के लोग जो जिस हालत में थे घरों से निकल गए।

काली नदी का पानी भारत नेपाल को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय झूला पुल तक पहुंच गया था। काली नदी के शोर से पूरा धारचूला दहशत में आ गया। धारचूला, गलाती , निंगालपानी, गोठी, बलुवाकोट, जौलजीबी तक लोग सजग हो गए। तीन बजे के बार नेपाल सीमा पर लोग जग गए और काली नदी के जलस्तर के सामान्य होने की प्रार्थना करने लगे। काली नदी अभी भी खतरे के निशान पर बह रही है। यदि नदी का जल कुछ देर और थमता तो धारचूला के तपोवन से लेकर डीडीहाट के तल्लाबगड़ , हंसेश्वर तक का भूगोल बदल जाता । जिसे सोचकर भी लोग सिहर रहे हैं।

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