उत्तराखण्ड
‘सजग कार्यक्रम, के तहत समाज को दी नई दिशा
रुद्रपुर। उधम सिह नगर जिले में संचालित सजग कार्यक्रम पालकों को बच्चों के बेहतर पालन-पोषण में मदद कर रही हैं। कोरोना महामारी की स्थिति में बच्चों के विकास की प्रक्रिया निरंतर जारी रहें, इस उद्देश्य से डिजिटल प्लेटफार्म द्वारा प्रारम्भ किए गए “सजग कार्यक्रम” को अब दिसंबर में एक साल पूरा होने जा रहा हैं। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उधम सिंह नगर, उत्तराखंड के साथ समाज सेवी संस्था सेंटर फॉर लर्निंग रिसोर्सेस (सी.एल.आर.) द्वारा चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के जरिए छोटे बच्चों के लालन-पालन से जुड़ी जरूरी बातों की जानकारी साल भर ऑडियो श्रृंखला के रूप में पालकों तक पहुंचती रही। सजग ऑडियो की ये कड़ियां माता-पिता और अन्य परिजनों के लिए कोविड के बेचैन कर देने वाले हालात में खुद को संभालने, बच्चे के विकास में सहायक घर का वातावरण बनाने और बच्चों में भावी जीवन को गढ़ने की क्षमता तैयार करने में मददगार साबित हुईं।
जानिए क्या है ये सजग ऑडियो कार्यक्रम –
बच्चों के विकास में उनके जीवन के शुरुआती सात-आठ साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पिछले साल 22 मार्च को देश भर में कोविड के चलते लॉकडाऊन की घोषणा कर दी गई। लॉकडाऊन के चलते आंगनबाड़ी और ऐसी सभी संस्थाएं बंद करनी पड़ीं जहां बच्चों को सीखने-जानने के अवसर मिलते थे। बड़े, बच्चे सभी घरों में बंद हो गए। ये स्थिति कब तक बनी रहने वाली है, अनुमान लगाना कठिन था। पर बच्चों के लिए ये समय बहुत महत्वपूर्ण था। अब बच्चों के लिए जानने-समझने का एक ही जरिया बाकी था, उनके पालक जो उनके साथ थे। लिहाजा सी.एल.आर. ने बच्चों के लालन-पालन से जुड़ी जरूरी बातों पर आधारित छोटे-छोटे ऑडियो संदेश तैयार किए। जिन्हें लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएँ परिवारों तक पहुँचती हैं और उन्हे जरूरी जानकारी उपलब्ध कराती हैं।
ऐसे पहुँचते हैं ऑडियो संदेश पालकों तक –
हर 15 दिन में किसी एक जरूरी जानकारी पर आधारित लगभग पाँच मिनट के संदेश सी.एल.आर. द्वारा तैयार किया जाते हैं। ये संदेश जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जिले के सभी परियोजना अधिकारियों को व्हाट्सएप के जरिए भेजा जाता है। फिर सभी सीडीपीओ अपने पर्यवेक्षिकाओं को भेजते हैं। पर्यवेक्षिकाएं संदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताए संदेश को पोषण आहार वितरण के दौरान, आंगनबाड़ी केंद्र में चौपाल करके एवं पालकों के घरों में जाकर इन संदेशों को उन्हें सुनाकर जरूरी बातें समझातीं हैं। कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर जिन पालकों के पास स्मार्टफोन और व्हाट्सएप जैसी सुविधाएं थीं उन पालकों के ग्रुप बनाए और उसके जरिए भी संदेश पालकों तक पहुंचाया।
लोगों की जिंदगी पर पड़ा असर –
कोविड ने तनाव को चरम तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। जहां बहुतों के सामने रोजी रोटी की दिक्कत खड़ी हो गई वहीं दूसरी तरफ अंजाना डर हमेशा सताता रहा कि कहीं बीमारी की चपेट में ना आ जाएँ। ऐसे में बच्चों की तरफ से ध्यान का हट जाना स्वाभाविक था। सजग ऑडियो संदेशों ने पालकों को खुद को संभालने के तरीके सुझाए। परिवार में तनावमुक्त वातावरण तैयार करने की समझ दी। बच्चों की जिंदगी में भी सब कुछ बदल चुका था ऐसे में उन्हें कैसे संभालें, साथ ही उनके जीवन की नीव को कैसे मजबूत करें इसकी जानकारी पालकों को मिली।
सुना, समझा और समझाया–
आईसीडीएस ने संदेशों को सिर्फ आगे भेजने का काम नहीं किया बल्कि उसे खुद सुना, समझा और फिर पालकों को समझाया। जिले के कार्यक्रम अधिकारी से संदेश परियोजना अधिकारियों तक पहुँचने के बाद जिला स्तर पर ऑनलाईन चौपाल का आयोजन किया जाता है। जिसमें जिले के सभी परियोजनाओं से सीडीपीओ शामिल होते हैं। इन चौपालों में संदेश में कही गई बातों पर गहराई से समझ बनाने सी.एल.आर. के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसी अनुसार सीडीपीओ अपने पर्यवेक्षिकाओं और पर्यवेक्षिकाएं अपनी कार्यकर्ताओं की समझ बनाने चौपाल करती हैं। इस तरह सभी स्तरों पर अमले के लोग एक दूसरे के अनुभव से सीख पाते हैं और कार्यकर्ता की समझ तैयार कर पाते हैं ताकि वो पालकों को बातें भली-भांति समझा सके।
कार्यकर्ताएँ पालकों से मिलकर उनकी अपनी बोली भाषा में संदेशों को समझाने बात-चीत करती हैं। एक साल पूरा होने के बाद अभी सजग अभियान दुसरे साल में भी चलाने की योजना हैं । जिसके तहत आगे अभिभावक कैसे बच्चों के लिए छोटे छोटे खेल, ढेर सारी बातचीत और प्यार दुलार का वातावरण बना सकते हैं इसके संबध में सजग संदेश भेजे जाएंगे।
सजग कार्यक्रम के दौरान उधम सिंह नगर के रुद्रपुर ग्रामीण परियोजना के क्षेत्र किच्छा में लगातार सजग का कार्यक्रम कराया जाता है। जिसमें सुपरवाइजर प्रभा गोस्वामी द्वारा बच्चों की माताओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सजग की चौपाल लगाकर चर्चा की जाती है।





























