कुमाऊँ
ये लड़ाई सबको लड़नी होगी
कोरोना महामारी से आज धरती कंपकपा रही हैं। मानव त्राहिमाम -त्राहिमाम कर रहा है। जीवन और मौत का फासला कम होते जा रहा है। एक अदृश्य चीज़ ने आदमी को घेर रखा है जकड़ रखा है। इसकी गिरफ्त से बचना बहुत मुश्किल है लेकिन असंभव नही। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश या शहरों की अधिक जनसँख्या घनत्त्व के कारण कई लोग आज हमारे बीच से चले गए है। जाने वालों के प्रति सबकी सहानभूति है। ईश्वर उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में मदद दे। हमें भी अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करते रहना होगा। एक मात्र आलोचनाओं से काम नही चल सकता। सरकार के साथ – साथ सिविल सोसायटी को भी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। कम से कम हम अपने को तो बचा सकते है। फिर हमारा परिवार,आस-पड़ोस, गांव, परिजन,देश परदेश भी बचते जाएगा। समय की यह बड़ी उपलब्धि है की हम सुरक्षित रहें।ये तभी संभव होगा जब हम मुँह पंर मास्क जिससे नाक भी ढका रहे पहने,हाथों को समय समय पर धोते रहे,उचित दूरी बनाए रखे,शादी-ब्याह,तीज- त्यौहारों में कम से कम शरीक हो का पालन करे और खुद अनुशासित रहकर और को भी इसके लिए प्रेरित करे। सरकारी प्रयास अपनी जगह काफी या नाकाफी हो सकते है लेकिन हमें अपना आचरण, प्रयास कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही करना है।
टीके जरूर लगवाए। संक्रमित व्यक्ति से मानसिक भेदभाव नही सिर्फ भौतिक दूरी रखनी है, इसका ध्यान रखें। मानसिक रूप से हम मज़बूत रहेंगे तो इसका देर सबेर प्रभाव हमारे आस पास पर जरूर पड़ेगा। संक्रमित होने पर भाँप ले,नमक पानी का गरारा जरूर करे, प्रातःकाल और सायंकाल हल्का योग, ध्यान, प्राणायाम करें। ये कुछ समय की बात है। हमारे भीतर की शक्तियों का भी इम्तिहान है। इसको कमज़ोर ना पड़ने दे। प्रतिदिन हजारों की संख्या में संक्रमित व्यक्ति ठीक हो रहे है। अपना ध्यान इसी ओरे खिंचने की कोसिस करे। अंततः कोशिश करने वालो की हार नही होती, जो लड़ा इस जंग में जीत उसकी ही होती
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल‘
बागेश्वर, उत्तराखंड
(लेखक कोविड-19 के संक्रमित केअर केंद्र में सेवा करते हुए इससे बचने को लोगों को जागरूक कर रहे हैं)