कुमाऊँ
गेंहू की उत्तम प्रजाति विकसित करने में नरेंद्र मेहरा का महत्वपूर्ण योगदान, रजिस्ट्रीकरण प्रणाम पत्र भेंट
हल्द्वानी। गेहूं की उत्तम प्रजाति को विकसित करने वाले उत्तराखंड के पहले किसान नरेंद्र सिंह मेहरा को आज पेटेंट प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया।
आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान श्री मेहरा बताया कि वह पिछले कई वर्षों से उत्तम प्रजाति के पेटेंट को विकसित कर जैविक खेती करते आ रहे हैं। अगर आप भी उत्तम खेती करना चाहते हैं तो मेहरा से प्रेरणा ले सकते हैं। उन्होंने गेंहू के उत्तम पेटेंट जैविक खेती कर नरेन्द्र09 की सफलता हासिल की है। आज अधिकांश लोग नरेंद्र09 को उपभोग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में किसान जितनी मेहनत से खेतीबाड़ी करते हैं उन्हें उतना अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता है इसी चीज को मध्य नजर रखते हुए गौलापार के रहने वाले नरेंद्र सिंह मेहरा ने उत्तम जैविक खेती, उत्तम फसल उगाने का प्रयास किया है। उन्हें इस मामले में काफी हद तक सफलता भी मिली है।
इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर डॉ विजय दोहरे ने श्री मेहरा की सफलता पर उन्हें पंजीकरण प्रमाण पत्र दिया। इस अवसर पर डॉ विजय दोहरे ने कहा कि किसानों को जैविक खेती पर अधिक ध्यान देना चाहिए। जैविक खेती से जहां कई औषधीय गुणों का लाभ मिलता है वही कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलता है, उन्होंने कहा कि गेहूं की प्रजाति को विकसित करने में श्री मेहरा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री मेहरा उत्तराखंड के एकमात्र ऐसे किसान हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ से बीज मगाकर अपने यहां प्रयोग किया। डॉक्टर दोहरे ने कहा कि धान, गेहूं के अलावा अन्य फसलों पर भी यह प्रयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए वह सदैव तत्पर हैं, इस अवसर पर डॉ कंचन ने कहा कि उत्तराखंड में किसानों द्वारा बीजों की जो वैरायटी उगाई जाती है वह उतना पेटेंट नहीं है, अत्यधिक मेहनत करने के बाद भी किसानों को अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती है।
डॉ कंचन ने कहा कि उत्तराखंड के किसानों को उत्तम बीज वैरायटी पेटेंट विकसित करने चाहिए, ताकि उन्हें अधिक से अधिक पैदावार मिल सके। इस अवसर पर आत्मा संस्था के कमल पंत, जैविक प्रशिक्षक अनिल पांडे दीपक आर्य आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में नरेंद्र सिंह मेहरा ने कहा कि वह जैविक खेती को पिछले 4 वर्षों से बढ़ावा देते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अगर इस ओर ध्यान देते हुए बीच यात्रा आरंभ कर किसानों की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए हाथ आगे बढ़ाएं तो निश्चित तौर पर यह देश के कोने-कोने में उगाया जा सकता है।