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उत्तराखण्ड

बाबा नीम करौली की ऐसी महिमा हजारों की संख्या में कैंची धाम पहुंच रहे भक्त, आखिर क्या है ऐसी श्रद्धा और आस्था बाबा के प्रति

रिपोर्टर भुवन ठठोला

नैनीताल। देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में दिव्य रमणीक स्थल है कैंची धाम । कैंची धाम को नीम करौली धाम नाम से भी जाना जाता है। यह ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हर वर्ष 15 जून को यहां विशाल मेले एवं भंडारे का आयोजन होता है। माना जाता है कि यहां श्रद्धापूर्वक की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती है। यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है।

कैंची धाम, नैनीताल जिले में भवाली- अल्मोड़ा / रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। 15 जून को मंदिर के प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस जगह का नाम कैंची, यहां सड़क पर दो बड़े जबरदस्त मोड़ के नाम पर पड़ा है। कैंची धाम में हनुमान जी, राम-सीता और मां दुर्गा के मंदिर हैं। कैंची धाम बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। नीम करौली धाम की स्थापना को लेकर कई रोचक कथाएं प्रसिद्ध हैं।
1962 में श्री नीम करौली महाराज ने यहां की भूमि पर कदम रखा। उन्होंने कई चमत्कारिक लीलाएं रचीं। फेसबुक और एप्पल के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा हमेशा एक कंबल ओढ़े रहते थे। नीम करौली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबर ब्राह्मण परिवार में हुआ था ।

मात्र 11 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया। शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने घर छोड़ दिया। 17 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। नीम करौली हनुमान जी के भक्त थे। उन्होंने अपने जीवन में 108 हनुमान मंदिर बनवाए।

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बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृंदावन की पवित्र भूमि को चुना। दस सितंबर 1973 को उन्होंने शरीर त्याग दिया।मार्क जुकरबर्ग भी कैंची धाम आश्रम में आए। वह यहां दो दिन रुके थे। उनकी भी वहां मांगे पूरी हुई थी।

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