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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में बड़ता पलायन, गम्भीर चिंता का विषय

अल्मोड़ा। उत्तराखंड को बने 22 साल बीत चुके हैं। लेकिन यहां पर पहाड़ी क्षेत्रों की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। विकास के नाम पर राज्य के केवल शहरी व मैदानी क्षेत्रों में चहल पहल हुई है। जबकि पहाड़ों में पहाड़ जैसी समस्याओं के चलते पलायन ने रफ्तार पकड़ रखी है। जो कि गंभीर चिंता का विषय है। अगर पहाड़ों में प्रयाप्त सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो पलायन को कुछ हद तक रोका जा सकता है।

पलायन के पीछे जहां रोजगार प्रमुख कारण बना हुआ है। वहीं आधुनिक चकाचौध व सुखसुविधाओं को देखकर मैदानी व शहरी क्षेत्रों में बसना शुरु कर दिया है। पीछले कुछ वर्षों में राज्य के अल्मोड़ा व पौड़ी जिले से सबसे अधिक पलायन हुआ है।

अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी बताते हैं कि पांच सालों में उत्तराखंड के संपन्न शहरों में मात्र व शिशु मृत्यु दर बड़ती जा रही है। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में 30.6 फीसदी व शहरी क्षेत्रों में 36.2 फीसदी पहुंच गई है।

नेगी ने बताया पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन होने से गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस सुनसान की स्थिति से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बाघ,व जंगली सुवर आदि जंगली जानवरों का आतंक बढ़ते जा रहा है।

घटती आबादी व आवाजाही के कारण जंगली जानवरों द्वारा लोगों पर आयेदिन हमले किए जा रहे हैं। जिससे कि कई लोगों की अकारण मौत हो रही है। अब तक उत्तराखंड में 60 से अधिक लोगों को जंगली जानवरों द्वारा मारा जा चुका है।

बड़ी आवादी वाले नायल गांव में रहती सिर्फ 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला

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अल्मोड़ा। 15 परिवारों वाला बड़ा सा नायल गांव में कभी खूब चहल कदमी रहती थी, समय ऐसा आया आज इस गांव में सिर्फ एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला अकेले रहने को मजबूर है। बता दें कि ग्राम पंचायत कुंजी किमोला के राजस्व तोक नायल गांव में सिर्फ एक अस्सी साल की बुजुर्ग महिला रहती है। यह जानकारी देते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य नवीन चंद्र दुर्गापाल ने बताया कि पहाड़ों से पलायन तेजी के साथ हो रहा है।

उन्होंने बताया इस गांव में लगभग 500 नाली सिंचित भूमि बंजर पड़ी हुई है। पूरा गांव खाली हो चुका है। गांव में अब कोई नहीं रहता है। सिर्फ एक अकेली बुजुर्ग महिला के सिवाय यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसे ही क्षेत्र के और भी कई गांवों का हाल बना हुआ है। श्री दुर्गापाल ने कहा पहाड़ों से लगातार पलायन होना बहुत ही चिंताजनक विषय है।

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