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कुमाऊँ

पौधरोपण के साथ मनाया जन्मदिन

सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो में अक्सर आपको चारों ओर हरियाली,अच्छी आबो-हवा, साफ पानी जरूर मिल जाएगी।हमारे अग्रजो, पुरखों एवं पूर्वजों का प्रकृति से कितना गहरा लगाव था इसको गांवो ,खेत-खलिहानों, सेरु(स्यार),घरों,तोको,वनों में प्रमाण के रूप में देखी जा सकती है। जीवन में प्रकृति और पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए उन्होंने अपने होने, जीवन यापन करने को अपने परिवेश से जोड़ा रखा था। यही कारण रहा शतकीय जीवन को वे लोग निरोग,खुशहाल होकर जी गए जो हम सब लोगो की लिए प्रेरणास्रोत है। भावी पीढ़ी अंधता, भौतिकता व देखादेखी की पीढ़ी जान पड़ती है।

भले ही आज हम कागज़ की ऊंची -ऊची डिग्रियों, उपाधियां लेकर बोझ तले दबे हुए हैं, और खुद को मुल्ला नसरुद्दीन समझते हैं लेकिन वक़्त के थपेड़ों से खुद को बचा पाने में असमर्थ लग रहे है। इस सबका एक प्रभावी कारण है हम दिनोदिन अपने परिवेश,प्रकृति,पर्यावरण से दूर होते चले जा रहे है। बच्चो को महंगे स्कूलों में पढ़ाना, अनाप- शनाप बेमतलब खर्च करना,अनावश्यक घूमना-घूमाना हमारी शान तो बनाता है मगर एक छोटा पौधा रोपकर हम प्रकृति के पास तक नही पहुच सके हैं। इसे क्या कहेंगे- पड़ा लिखा, पर गुणा नही। इसकी आज सख्त जरूरत हैं। फिर भी समाज मे कई लोगो का प्रकृति के प्रति लगाव उत्साहित करता है। जो लोग हर अवसरों पर या यूं कहें हर खुशी के मौकों पर भी पेड़ लगाने,लगवाने व इसके प्रति जागरूक करने का अवसर ढूढ ही लेते है।

जनपद पिथोरागढ़ का सीमांत गांव लछिमा तहसील बेरीनाग से लगभग 25 किमी दूर पहाड़ो की सुरम्य वादियों में स्थिति है। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती किसी को भी अपने और आकर्षित कर सकती है। हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ों की लंबी श्रृंखला आप घर बैठे ही देख सकते हैं। कक्षा नौवीं में पड़ने वाले, हिमालयन इंटर कॉलेज चौकोड़ी के पीयूष पाठक को आज इनके जन्म दिन की बधाई आनी शुरू हुई तो स्वाभाविक रूप से अपनी खुशी को सबके साथ बाटने लगे। बच्चे कितने भोले होते हैं और सरल भी। जब उसको जन्मदिन के अवसर पर पौधरोपण करने के लिए कहा गया तो उसकी खुशी और बढ़ गयी।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ जो पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हुए है और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते रहते है के कहने पर पीयूष ने अपना जन्मदिन माता – पिता हरीश पाठक और दीपा पाठक के साथ पौधरोपण कर मनाया। इस दिन को यादगार बनाकर पीयूष
बहुत खुश है और रोपे गए पौधे की विधिवत देखभाल कर वृक्ष बनने तक उसकी रक्षा करने की बात कही हैं।

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