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कुमाऊँ

पलायन व शहरी क्षेत्र में बढ़ती आबादी को लेकर चिंता

रिपोर्टर -भुवन ठठोला

नैनीताल। ग्रमीण क्षेत्रों से शहरों की ओर हो रहे पलायन से अब गांवों को ही नही बल्कि शहरों में बढ़ रही आबादी धीरे-धीरे शहरी क्षेत्रों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसको लेकर बुधवार को उत्तराखंड प्रशासनिक अकैडमी में दो दिवसीय कॉन्क्लेव का दीप प्रज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया गया। कॉन्क्लेव में हाई लेवल कमेटी,वर्ल्ड बैंक, आईसीआईएमओडी, उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, नीति आयोग, द कोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ इन्फोट्रेकचर एंड ट्रांसपोर्ट भूटान,एनआईयूए, आपदा प्रबंधन सिंचाई विभाग वह 20 शहरों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

महानिदेशक उत्तराखंड प्रशासनिक अकैडमी बीपी पांडे ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ पेरीअर्बन एरिया में समय समय की आवश्यकताओं के दृष्टिगत बदलाव स्वच्छता व्यवस्था एवं पर्यटकों के बढ़ते फुटफॉल के कारण आवश्यक ढांचागत सुविधाओं पर चर्चा की गई। कहा कि बीते दो वर्षों में उत्तराखंड में बढ़ते पर्यटक उनके दबाव व उसके पर्यावरणीय प्रभाव के अध्ययन की आवश्यकताओं पर बल दिया गया। इन चुनौतियों के निराकरण के लिए संस्थाओं तथा नगर निकाय की छमता अभिवृद्धि वह नॉलेज क्रिएशन पर बल दिया जाना अनिवार्य है। उत्तराखंड की पारंपरिक वॉटर बॉडी प्राकृतिक जल स्रोत के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट पर भी चर्चा की गई।

चेयरमैन हाई लेवल कमिटी शहरी मंत्रालय भारत सरकार केशव वर्मा, ने कहा कि असंवेदनशील शहरीकरण व रिवर सिस्टम को बचाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय अनुभव साझा कर हम इन चुनौतियों से पार पा सकते है।

पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे,ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ रही आबादी एक गंभीर चिंता का विषय है इससे पार पाने के लिए हमको उससे पहले अर्बन प्लानिंग करनी होगी,जबकि अभी तक पूरे देश में अर्बन प्लैनिंग हुई ही नहीं है। हमें सभी स्टेकहोल्डर के साथ मिलकर उचित उपाय ढूंढना होगा और उस पर कार्य करना होगा।

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सचिव शहरी विकास दीपेंद्र कुमार चौधरी, ने कहा कि उत्तराखंड के भूकंप संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण अन्य देशों एवं भारत के अन्य प्रदेशों सुझाव शेयर किया जाना प्रभावी होगा। हिमालयी क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय आकलन करना होगा।

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