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कुमाऊँ

महिला पात्र की रामलीला के द्वितीय दिवस राम के वन गमन वियोग में दशरथ ने त्यागे प्राण

अल्मोड़ा। श्री भुवनेश्वर महादेव रामलीला समिति कर्नाटक खोला में महिलाओं की रामलीला के द्वितीय दिवस में राम का वन गमन, सुमंत विलाप,केवट प्रसंग,दशरथ मरण, पंचवटी प्रसंग, शूर्पणखा नासिका छेदन, खर-दूषण वध,रावण-साधु मारीच संवाद,राम सुग्रीव मैत्री,अशोक वाटिका, अक्षय कुमार वध मुख्य आकर्षण रहे । दर्शकों ने महिलाओं के किरदारों की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा तालियों के शोर ने कलाकारों का उत्साह वर्धन किया तथा पूरी लीला का आनंद लिया ।
समिति के संस्थापक एवं संरक्षक पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि महिलाये न सिर्फ रामलीला के मच का नया दौर विकसित कर रहीं हैं बल्कि नारी सशक्तिकरण का संदेश भी दे रहीं हैं । उन्होंने कहा कि रामलीला मंचन में सिर्फ पुरूष ही अभिनय करें महिलाएं नहीं,ऐसी पाबंदियों, रूढ़ियों और मिथकों को महिलाओं ने तोड़ दिया है । इससे उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी मिल रही है और महिलाओं के अन्दर आत्मविश्वास को बढ़ावा मिल रहा है । उन्होंने कहा कि महिलाओं को मंच तक पहुंचने में समय जरूर लगा लेकिन अपनी भागीदारी बराबरी और कहीं उससे भी ज्यादा सुनिश्चित की ।

लंकेश रावण की भूमिका में डा. विद्या कर्नाटक , सुमंत-पारू उप्रेती,खर- दूषण हर्षिता तिवारी -सुनीता बगडवाल, राम – दिव्या पाटनी , लक्ष्मण – किरन कोरंगा , सीता – वैभवी कर्नाटक, भरत-भूमि पाण्डे, शत्रुघ्न-अंशु नेगी,मेघनाद – भावना मल्होत्रा , दशरथ – रीता पान्डे , हनुमान- मीनाक्षी जोशी, सूर्पनखा-काव्या पाण्डे,साधु मारीच-गितांजली पाण्डे,सुग्रीव-कविता पाण्डे, अक्षय कुमार-सीमा रौतेला,केवट-रेखा जोशी,रेबा काण्डपाल,आशा मेहता, कंचन पाण्डे,पूजा बगडवाल आदि ने अपने मनमोहक अभिनय से सभी का मन मोह लिया । सीता-रावण संवाद,रावण-साधु मारीच सवाद, खर-दूषण प्रसंग, मेघनाद संवाद, सुमंत विलाप, सूर्पनखा नृत्य आदि के पात्रों के जीवन्त अभिनय वह संवादों ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन बिट्टू कश्यप द्वारा किया गया।

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