सरकारी योजनाएँ
घाटे के चलते मंडी ने रोके कई जिलों के विकास कार्य
पर्वत प्रेरणा ब्यूरो
हल्द्वानी। कुमाऊं की सबसे बड़ी मंडी समिति जो हर साल अपने स्तर से विकास कार्यों को करवाती थी, लेकिन इस बार उसने घाटे के चलते विकास कार्य को रोक दिया है। इस साल करोना जैसी महामारी के चलते पूरे देश में लोक डाउन की स्थिति लगा दी गई थी ,उसके चलते हल्द्वानी मंडी समिति को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इसी वजह से अब मंडी समिति ने अपने सारे कार्यों को कुछ समय के लिए रोक दिया। बता दे कि कोरोना काल और मंडी शुल्क खत्म होने की वजह से हल्द्वानी स्थित कुमाऊं की सबसे बड़ी नवीन मंडी हर रोज घाटे में जा रही है। आलम ये है कि बीते एक साल में मंडी समिति को करीब छह करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। मंडी को हुए इस करोड़ों के घाटे का असर नैनीताल समेत अल्मोड़ा और बागेश्वर में भी दिखाई दे रहा है। मंडी समिति ने इन क्षेत्रों में हर साल कराए जाने वाले अपने विकास कार्य रोक दिए हैं। न तो यहां ग्रामीण क्षेत्रों में इस साल सड़कों का कोई नया प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है और न ही पेयजल व्यवस्था के लिए हैंड पंप ही लगाए जा सके हैं।मंडी समिति हल्द्वानी का कहना है कि मंडी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए बाहरी खर्चों में कटौती कर दी गई है। मंडी परिक्षेत्र के तमाम विकास कार्यों को रोककर उसका बजट मंडी के अंदर के कार्यों में लगाया जा रहा है।मंडी समिति से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल मंडी के अंदर और बाहर के शुल्क से छह से सात करोड़ का राजस्व प्राप्त होता था। जिससे विकास कार्य करवाए जाते थे। मगर, मंडी शुल्क खत्म होने और कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि, कोरोना काल की शुरूआत में यानी जनवरी 2020 से जनवरी 2021 तक की अवधि में मंडी को 5.91 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
सचिव मंडी समिति हल्द्वानी वीवीएस देव का कहना है किबीते एक साल में मंडी को करीब छह करोड़ का नुकसान हुआ है। इससे उबरने और मंडी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए मंडी से बाहर के कार्यों पर फिलहाल रोक लगाई गई है।मंडी समिति हल्द्वानी के परिक्षेत्र में रामनगर को छोड़कर संपूर्ण नैनीताल जिला आता है। इसके अलावा अल्मोड़ा और बागेश्वर का क्षेत्र भी मंडी से जुड़ा हुआ है। इन क्षेत्रों में प्रतिवर्ष मंडी द्वारा हैंड पंप, सड़कें बनवाई जाती थी। इसके अलावा किसानों को दूसरे राज्यों में एजुकेशनल टूर भी करवाया जाता था। जिसमें किसानों को उन्नत कृषि के तौर तरीके देखने और सुनने को मिलते थे। वहीं, पंजीकृत किसानों को सब्सिडी में कृषि यंत्र भी दिए जाते थे। लेकिन जनवरी 2020 से जनवरी 2021 की अवधि में इनमें से कोई भी कार्य नहीं कराया जा सका।