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उत्तराखण्ड

समस्यायों का निराकरण न होने से आशा फैसिलिटेटरों में मायूसी

देहरादून। आशा एवं आशा फैसिलिटेटरो ने लंबे समय से शासन प्रशासन को अपने मानदेय व अन्य राशि के लिए गुहार लगाई है। उनकी समस्याओं का निराकरण न होने से वह नाराज़ व मायूस हैं। मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है।

आपको बता दें इससे पूर्व प्रदेश में जगह जगह आशा एवं आशा फैसिलिटेटरो द्वारा धरना प्रदर्शन व हड़ताल की गई, जिस पर तत्कालीन सरकार व शासन प्रशासन ने कुछ धन राशि के शासनादेश जारी किये। आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों के खाते में बाकी पैसे नहीं पहुंचे। वर्तमान में आशा फैसिलेटर की प्रदेश महामंत्री रेनू नेगी ने उत्तराखंड चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड के सह सचिव,राजेन्द्र कुमार व गंगोत्री बिधायक सुरेश चौहान से अपनी समस्यायों के निराकरण हेतु चर्चा की और ज्ञापन भी सौंपा। आशा एवं फैसिलिटेटरो का कहना सन् 2005 से आशाएं कार्यरत हैं।

सन् 2005 में आशाओं को मात्र 200 रुपये मिलते थे। 18 साल बितने के बाद भी वर्तमान सरकार ने 18साल से 40साल तक के आशा एवं आशा फैसिलिटेटरो को पेंशन के फोम भरवाने का प्रावधान निकाला। लेकिन आशाओं ने सन 2005 से डियूटी पकडी तब कोई आशा 30साल की कोई आशा 35साल की थी। अब इन आशाओं में कोई 50साल की कोई 48 साल की हो गई हैं। जिन्होंने 18 साल स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अपनी जान जोखिम में डाली आज उनको ही पेंशन के फोरम के प्रावधान से बाहर किया जा रहा है। 18 साल से 40 तक कि आशाओं के लिए दुर्गम व गरीब परिवार की आशाओं का क्या होगा। इस पर गौर किया जाना चाहिए।

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इधर चार महीने से आशा एवं आशा फैसिलिटेटरो को पैसे नहीं मिल रहे हैं। इन तमाम समस्याओं को लेकर आशा एवं आशा फैसिलिटेटरो ने ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है,गरीब परिवार की महिलाओ को रक्षा बंधन का त्यौहार चलाने के लिए सोचना पड़ेगा। शासनादेश जारी किया पैसा शासन प्रशासन जब देगा तब देगा। जो चार महीने से काम किया है वह पैसा नहीं मिलने पर आशा कार्यकर्ता नाराज हैं। प्रताप सिंह नेगी रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने इन आशाओं की समस्यायों को मध्य नजर रखते हुए शासन प्रशासन से जल्द से जल्द इन्हें चार महीने के पैसे दिलाने के लिए गुहार लगाई है।

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