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कुमाऊँ

डॉ. पवनेश ने कॉलेज की दीवारों में किया नवाचार

अल्मोड़ा। रा० इ० का० नाई ( ताकुला ) में हिंदी प्रवक्ता के रूप में कार्यरत डॉ. पवनेश ठकुराठी ने अपने 'प्रोजेक्ट कायाकल्प' के माध्यम से एक दुर्गम विद्यालय की बेजान दीवारों को जीवंत किया है। उन्होंने विद्यालय की दीवारों पर स्वयं रेखाचित्र बनाये और उन्हें छात्र- छात्राओं के सहयोग से रंगों से सुसज्जित किया।

      डॉ. पवनेश ने कालेज की बाहरी दीवारों में मोनाल, बुरांश, ब्रह्म कमल, उत्तराखंड राज्य लोगो आदि प्रतीकों के अलावा फौजी, छलिया, मंदिर, पानी लाती ग्रामीण औरतें, गाँव, घर, घास काटती औरत, प्यौली, बकरी, लताएँ, खतड़ू, श्रीराम का वन गमन, नृत्य करते लोक कलाकार, फुलवारी, प्राकृतिक दृश्य आदि सांस्कृतिक चित्र अंकित किये हैं। इसके अलावा इमारतों की बाहरी दीवारों में किताब पढ़ता विद्यार्थी, स्कूल जाता बंदर, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सड़क सुरक्षा, जल संरक्षण, नदी संरक्षण, उर्जा संरक्षण, स्वच्छ भारत आदि संदेशपरक चित्र भी उनके द्वारा बनाये गये हैं। 

  इसके अलावा डॉ. पवनेश ने पुस्तकालय और सांस्कृतिक सभागार की भीतरी दीवारों को अपनी कला से समृद्ध किया है। उन्होंने छात्र छात्राओं में हिंदी और संस्कृत साहित्य के प्रति रूचि जागृत करने हेतु पुस्तकालय की दीवारों को चित्रों, संस्कृत श्लोकों और हिंदी काव्य पंक्तियों से अलंकृत किया है। डॉ. पवनेश ने पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते विद्यार्थी, देशभक्त फौजी, साहसी युवक, स्वच्छ आसमान, उड़ते पंछी, आंखें, तितली आदि चित्र अंकित किये हैं। उन्होंने पुस्तकालय की दीवारों में संदेशपरक संस्कृत श्लोक और पाठ्यपुस्तक की कविताएँ भी स्वयं लिखी हैं, ताकि विद्यार्थी अध्ययन हेतु प्रेरित हो सकें। 

 सांस्कृतिक सभागार में डा. पवनेश ने उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति को दर्शाने वाले चित्रों का अंकन किया है। सभागार में उन्होंने फुलदेई, होली, घुघुतिया, हरेला आदि लोकपर्वों और लोकवाद्यों, लोक कलाकारों का चित्रांकन किया है, ताकि विद्यार्थी अपनी लोक-संस्कृति से भलीभाँति परिचित हो पायें और उनके मन में अपने लोक के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो। सभागार में डा. पवनेश ने कुमाउनी भाषा में न्यौली, झोड़ा, होली गीत और लोकपर्वों पर कहे जाने वाले वचनों को स्वयं दीवालों पर लिखा है। उनके कहना है कि इससे विद्यार्थियों में अपने लोक जीवन, लोक संस्कृति व कुमाउनी भाषा के प्रति गौरव का भाव उत्पन्न होगा। 

 विद्यालय में बनाये गये विभिन्न चित्रों में रंग-रोगन करने में उन्हें कक्षा बारह के छात्र पारस सिंह बिष्ट और उनकी टीम का सहयोग मिला है। पेंटिंग के कार्य को विद्यार्थियों ने अतिरिक्त समय में किया। इस कार्य हेतु विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य इंद्रेश कुमार पांडे, प्रधानाचार्य अनिल कुमार, गणेश चंद्र शर्मा, रमेश सिंह रावत, अंकित जोशी आदि सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने उन्हें प्रेरित किया। विद्यालय के सीमित संसाधनों में किये गए डॉ. पवनेश के इस कार्य की ग्राम प्रधान नाई नंदन सिंह नयाल, बालम सिंह बिष्ट, जयपाल सिंह, पुष्कर सिंह, नीरज सिंह, विवेक सिंह आदि सहित अनेक स्थानीय युवाओं ने सराहना की है और उनके कार्य को प्रेरणादायी बताया है।
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