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हल्द्वानी के ऊंचाई वाले क्षेत्र में खत्म होने की राह पर पेयजल

मीनाक्षी

हल्द्वानी। हल्द्वानी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हर साल पेजयल का संकट बढ़ रहा हैं। क्षेत्र में आपूर्ति कर रहे ट्यूबवेल अब हांफने लगे हैं। भूजल का स्तर कम होने से इनके बंद होने का सिलसिला शुरू हो गया है। दस साल मे 20 मीटर तक भूजल स्तर में कमी आ गई है। जिससे ट्यूबवेल का डिस्चार्ज भी कम होने लगा है। जल्द इसके बचाव के उपाय नहीं करने पर क्षेत्र में पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। काठगोदाम से पनियाली तक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पहाड़ के नजदीक रहने की उम्मीद में सैकडों लोगों ने अपना आशियाना बनाया है। यहां साल भर पेयजल संकट बना रहता है। जल संस्थान के शीशमहल फिल्टर प्लांट से ऊपर होने से यहां पेयजल व्यवस्था ट्यूबवेल के भरोसे निर्भर है, पर सालों से ट्यूबवेल से भूजल खींचने से जल स्तर लगातार कम हो रहा है। क्षेत्र में पिछले दस साल में 20 मीटर तक भूजल गिरावट दर्ज की गई है। जिससे पहले से लगे ट्यूबवेल से पानी का डिस्चार्ज कम हो गया है। ऐसे में पानी की मांग पूरा करने को इन्हें चार से पांच घंटा अतिरिक्त चलाना पड़ रहा है। जिससे इनके खराब होने का सिलसिला लगातार बना रहता है। भूजल गिरावट से पनियाली में लगाया गया ट्यूबवेल दो साल पहले पूरी तरह सूख चुका है। वहीं अब बजूनियाहल्दू में मौजूद ट्यूबवेल ठीक होते ही कुछ घंटों में खराब हो गया। दो माह पहले इसके लिए यहां टैंकर की मदद से अतिरिक्त पानी भूमि में डाला गया था। क्षेत्र के बाकी आधा दर्जन ट्यूबवेल भी औसतन एक माह के अंतराल पर खराब होते रहते हैं। ऐसे में क्षेत्र में रह रहे लोगों के सामने पेयजल का गंभीर संकट खड़ा होने की आशंका बनी है।
प्राकृतिक जल स्रोत भी गायब
पहाड़ की तलहटी में बसे होने से यहां एक दौर में प्राकृतिक जलस्रोतों की मौजूदगी थी। लोगों के अनुसार 30 साल पहले तक अधिकांश क्षेत्र में इन जल स्रोतों से घरों तक पानी पहुंचता था, लेकिन रखरखाव और मौसम की मार से अब ये विलुप्त हो गए हैं। ऐसे में अब इनके होने की उम्मीद कम ही नजर आती है।
शीतलाहाट से नहीं मिलता पानी
हल्द्वानी की मांग पूरा करने को आजादी से पहले शीतलाहाट में फिल्टर प्लांट बनाया गया। दशकों तक यहीं से ऊंचाई वाले क्षेत्र के साथ शहर में पानी की मांग पूरी की गई, लेकिन अब यहां नाममात्र का पानी होने से काठगोदाम क्षेत्र को ही पानी मिलना मुश्किल हो गया है।
ट्यूबवेल के लिए हो रही अतिरिक्त खुदाई
ऊंचाई वाले क्षेत्र में पूर्व मे लगाए ट्यूबवेल के लिए 260 से 280 मीटर तक की खुदाई की गई है। एक माह पहले दमुवाढूंगा में लगाए जा रहे नए ट्यूबवेल के लिए 300 मीटर की खुदाई करनी पड़ी। ऐसे में दस साल के अंदर ही 20 मीटर यानी 60 फीट पानी के जलस्तर में गिरावट आ गई है।
कोट –
ऊंचाई वाले क्षेत्र में गौला का पानी नहीं पहुंचने से दिक्कत बनी रहती है। गर्मियों के दौरान भूजल स्तर कम होने से ट्यूबवेल का संचालन प्रभावित होता है।

  • रविशंकर लोशाली, अधिशासी अभियंता जल संस्थान
    इन क्षेत्रों में बढ़ रहा पेयजल का संकट
    काठगोदाम, दमुवाढूंगा, चौफुला, पनियाली, बजूनियाहल्दू, बिठौरिया
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