उत्तराखण्ड
लोकल से ग्लोबल तक सबको करने होंगे प्रयास, तभी बचेगा पर्यावरण, तभी बचेगी जीवन की आस
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सबको अब सजग,सचेत व सतर्क हो जाना चाहिए। समय गवाए बिना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम खुद ही उठाकर औरो को भी इस मुहिम से जोड़ते जाना पड़ेगा। यह अकेले संस्थाओं, सरकारों, समूहों, संगठनों, व्यक्तियों तक ही नही रहना चाहिए। हमारे मिल-जुलकर प्रयासों से ही हमारे जीने की राह निकलेगी। मात्रा दोषारोपण की शिफ्टिंग अब काम नही आने वाली हैं। फुटबॉल के मैच इग्यारह खिलाड़ियों के बीच खेला जाता हैं। जब दस खिलाड़ी गोल होने से नही रोक सकते तो अकेला गोलची को कैसे दोष दिया जा सकता हैं की वह गोल नही रोक पाया। बस कुछ ऐसे ही स्थिति आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के मध्य देखने को मिल रही हैं। हमें वैज्ञानिक व और प्राकृतिक तौर तरीकों से पर्यावरण को बचाने को अपने रोज़ की आदतों में शुमार करना पड़ेगा।
अब तभी नैया पार लग सकती है।अन्यथा पेड़-पौधों की कमी और अभाव का दंश हम इस महामारी देख ही नही रहे है बल्कि यूं कहें झेल रहे हैं। हमें छोटे-छोटे प्रयासों को अपने -अपने स्तर पर, स्थानीय से ग्लोबल तक पहुचाना होगा। आधे-अधूरे प्रयासों से हम पूरी कामयाबी कैसे पा सकते हैं। प्रश्न तो खड़ा होता ही है।
अपने प्रयासों से हमें प्रकृति की जवाब देना होगा। तब हमारे पास क्या जवाब होगा?। प्रयासो के अभाव व तालमेल की कमी कही हमें निरूत्तर ना बना दे। जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत हैं। इन प्रयासों, कामों सोचो विचारों को यथा प्लास्टिक बेगो की जगह कपड़े व पेपर को तरजीह देना, अनावश्यक बोरिंग ना करना,प्रत्येक जगह घर,बाजार,दफ्तर,कंपनी,विद्यालय, कॉलेजो,मैदानों, आस-पास,मॉल ,हस्पतालमें पेड़ों को लगाने के लिए कुछ जगह का चुनाव कर चौड़ी पत्तियों वाले पौधों का रोपण करना और इसे प्रोत्साहित करना , एक ही जगह पर काम करने वालो को सार्वजनिक परिवहन से आवागमन को प्राथमिकता देना,रि यूज,री साईकल,रिड्यूस को बढ़ावा देना जिससे ये प्रकृति कूड़े के ढेर बनने से बची रहे,अंधाधुंध पेड़ो की कटाई से प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ रहा है।
अतः खेती, तथा जंगलों को योग्य तरीको से रख-रखाव करने की महती जरूरत हैं। पौधे ही हमारी प्रकृति को शुद्ध रख सकते हैं ये हमें अब जानना व समझना होगा। पेड़-पौधें मनुष्यों के बिना रह सकते है लेकिन मनुष्य पेड़ -पौधों के बिना नही। पौधरोपण के साथ-साथ विधिवत देखभाल करते रहना पड़ेगा।
“जब आज शुरू करेंगे
कल को प्राण वायु ऑक्सीजन
तभी पाएंगे
नही तो वो दिन दूर नही
मुह पंर मास्क, पीठ में सिलिंडर
को ढोते रहेंगे”।
प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल‘
पिथोरागढ़ , उत्तराखंड
(लेखक पर्यावरण संरक्षण से जमीनी स्तर से जुड़े है व हर अवसर पर स्वयं पेड़ लगाकर औरों को इसके लिए प्रेरित करते रहते हैं)