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उत्तराखण्ड

देवभूमि उत्तराखंड-सतयुग से लेकर त्रेतायुग तक यहीं रहे थे भगवान विष्णु,

आज हम आपको ले चलते हैं, देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिलान्तर्गत आदिबद्री की ओर,कहते हैं यहां भगवान विष्णु तीन युगों तक अर्थात सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग तक यहीं रहे। बता दे पंचबद्री धामों में से एक आदिबद्री मंदिर भी है। जो चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर रानीखेत मार्ग पर कर्णप्रयाग से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थित है। माना जाता है कि बद्रीनाथ से पहले यहीं पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती थी, पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु प्रथम तीन युगों सतयुग, द्वापर युग और त्रेतायुग तक आदिबद्री मंदिर में ही रहे और बाद में कलयुग शुरू होते ही वह बद्रीनाथ मंदिर चले गए। तब से बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का आवागमन शुरू हुआ। वर्तमान में यहां भगवान विष्णु के मुख्य मंदिर के अलावा 13 और मंदिर हैं। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार, यहां पहले कुल 16 मंदिर हुआ करते थे लेकिन दो मंदिर स्वतः नष्ट हो गए।

कहा जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण स्वर्ग जाते समय पांडवों ने किया था। यह भी कहते हैं कि पांडव इसी रास्ते से स्वर्ग की ओर गए। कुछ मान्यताओं के अनुसार, आदि गुरू शंकराचार्य ने इन मंदिरों का निर्माण 8वीं सदी में किया था, जबकि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग का मानना है कि आदिबद्री मंदिर समूह का निर्माण 8वीं से 11वीं सदी के बीच कत्यूरी वंश के राजाओं ने करवाया था।

अगर मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यहां मंदिर पिरामिड शंकु आकार के हैं, जो काफी हद तक गढ़वाल के अन्य मंदिरों की संरचना में अलग दिखाई देते हैं। यहां मुख्य मंदिर काफी बड़ा है, जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा काली शिला पर है और वह दर्शन मुद्रा में खड़े हैं। यहां भगवान विष्णु की तीन फीट ऊंची मूर्ति की पूजा अर्चना की जाती है।

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वहीं मुख्य मंदिर के ठीक सामने श्रीहरि के वाहन गरुड़ का मंदिर है। इसके अलावा यहां भगवान सत्यनारायण, लक्ष्मी नारायण, भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, मां गौरी, मां काली, मां अन्नपूर्णा, चक्रभान, भगवान भोलेनाथ और कुबेर के मंदिर भी स्थित हैं। हालांकि कुबेर के मंदिर में उनकी प्रतिमा नहीं दिखाई देती है। कुलमिलाकर आदिबद्री का यह सदियों पुराना मंदिर आज भी भक्तों व श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु है। आज भी कई श्रद्धालु बद्रीनाथ जाने से पहले यहां भी अवश्य रुकते हैं।

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