Connect with us
Breaking news at Parvat Prerna

उत्तराखण्ड

छोटे दुकानदारों तथा सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम कारोबारियों को खत्म कर रही मोदी सरकार: तुलसी

हल्द्वानी। सांसद एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केटीएस तुलसी ने कहा कि अमेजन घोटाले में केंद्र की मोदी सरकार ने देश के छोटे दुकानदारों तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के कारोबार को खत्म करने के लिए सुपारी ली है।
श्री तुलसी आज यहां स्वराज आश्रम में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि देश का भविष्य तबाह करने के लिए मोदी सरकार ‘कॉन्ट्रैक्ट किलर’ की तरह काम कर रही है। छोटे दुकानदारों, छोटे व्यवसायियों की आजीविका बंद करने का कुचक्र रचा जा रहा है। आज देश में मोदी सरकार की सह पर अमेजन और कुछ अन्य मुट्ठी भर बहुराष्ट्रीय कंपनियां तेजी से अपनी जड़े जमा रही हैं। पिछले डेढ़ साल में 14 करोड़ नौकरियां चली गई हैं। छोटे दुकानदार और छोटे व्यवसायियों की आजीविका बंद हो गई है।
उन्होंने कहा एक रिपोर्ट में भारत में करोड़ों दुकानदारों, छोटे व्यवसायों और युवाओं की आजीविका के नुकसान के वास्तविक कारणों का खुलासा हुआ है। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने कानूनी शुल्क के नाम पर 8,546 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। जबकि कानून और न्याय मंत्रालय का वार्षिक बजट 1100 करोड़ रुपये है। अमेजन कंपनी ने कथित तौर पर कानूनी शुल्क के रूप में दो वर्षों में 8,546 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। खुलासे से यह सामने आया है कि यह बड़ी राशि कथित रिश्वत के रूप में दी गई थी। यहां तक कि अमेजन ने भी इस रिश्वत कांड को आंशिक रूप से स्वीकार किया है। हमारा मोदी सरकार से सवाल है कि आखिर किन राजनेताओं, उच्च अधिकारियों और राजनीतिक दलों को अमेजन से 8,546 करोड़ रुपये की ‘रिश्वत’ मिली है? क्या यह ‘रिश्वत’ छोटे दुकानदारों, व्यापारियों, छोटे व्यवसायों और एमएसएमई की कीमत पर अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार द्वारा नियमों और कानूनों में बदलाव के लिए दी गई थी?
उन्होंने कहा कि अमेजन समेत 6 कंपनियों ने मिलकर 8,546 करोड़ रुपये का भुगतान किया। अब सवाल यह उठता है कि रिश्वत की इतनी भारी-भरकम राशि कहां गई? इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्यों हैं? क्या उन्होंने यूएसए के राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक के दौरान अमेजन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी? क्या अमेजन रिश्वत कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा नहीं की जानी चाहिए? अमेजन की इकाइयां जिनमें अमेजन रिटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, अमेजन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, अमेजन होलसेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अमेजन इंटरनेट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एडब्ल्यूएस) शामिल हैं। आश्चर्य की बात यह है कि अमेजन द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और उत्पादों की कीमतें खुदरा स्टोरों में उपलब्ध दरों की तुलना में 30% से 50% कम हैं। इसकी अपनी लॉजिस्टिक कंपनी भी है, जो माल को अंतिम ग्राहक तक ले जाती है। लेकिन इतनी कम कीमतों पर सामान उपलब्ध कराने की अंतिम लागत कौन वहन कर रहा है, यह समझ से बाहर है? 2020 में, अमेजन ने घोषणा की थी कि वह 2025 तक 10 मिलियन एमएसएमई को डिजिटल बनाने में मदद करने के लिए भारत में 1 बिलियन का निवेश करेगा।
श्री तुलसी ने कहा कि अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ (सीएआईटी) ने भी इस तरह का एक विज्ञापन एफसीपीए के प्रमुख को भेजा था। इसके बावजूद मोदी सरकार इस तरह के गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े ऐसे मामले की जांच क्यों नहीं कर रही है जो आपने आपने बड़ा सवाल है। उन्होंने लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने की घटना की निंदा करते हुए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार ने जिस मंत्री के पुत्र ने नरसंहार का यह तांडव किया उस मंत्री को अभी तक बर्खास्त नहीं किया गया। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एसआईटी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार खुशहाली ला सकती है।
पत्रकार वार्ता में आईसीसी की ओर से प्रदेश चुनाव मीडिया प्रभारी जरिता लैतफलांग, पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल, प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया, जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, महानगर अध्यक्ष राहुल छिमवाल, आईसीसी सुमित ह्रदयेश, वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश मेहता, एनबी गुणवंत, जिला मीडिया कोऑर्डिनेटर गोविंद बिष्ट आदि मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें -  ऑनलाइन देखा होटल में नौकरी का विज्ञापन, फंस गए साइबर ठगों के जाल में, हो गया बुरा हाल
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News