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उत्तराखण्ड

एसएलपी वापस लेने के निर्णय से पलटी सरकार

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने एक बार रोलबैक किया है उत्तराखंड में अक्सर ऐसा ही होता है भाजपा की सरकारें अपने दिल्ली के आकाओं के हिसाब से पलटी मारती रहती हैं। ऐसा ही निर्णय पूर्व में त्रिवेंद्र सिंह रावत भी करते आए हैं। अब धामी सरकार भी उसी तरह से निर्णय बदलते नजर आ रहे हैं।

अपनी एक अलग छवि के साथ सरकार वापस लाए धामी एक बार फिर भारी दबाव में नजर आ रहे हैं। उन्होंने 2 दिन पूर्व एक निर्णय लिया जिससे उनके ठोस निर्णय की ओर बढ़ने के संकेत मिल रहे थे कि, हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर सीबीआई जांच होने के निर्देश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर विशेष याचिका को धामी सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया था त्रिवेंद्र रावत ने अपना दम दिखाते हुए आलाकमान के वरिष्ठ नेताओं से भेंट कर अपनी बात रखी।

यह माना जा रहा है कि, त्रिवेदी के खिलाफ सीबीआई जांचका निर्णय जो हाईकोर्ट ने दिया था। उससे त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती थी। भाजपा के एक गुट ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। जिससे 2 दिन तक राजनीतिक माहौल बड़ा गर्म रहा सरकार किसके दबाव में रहीया आलाकमान की फटकार पड़ी। जिसकी वजह से सरकार के निर्देश पर तुरंत धामी सरकार ने न्याय विभाग से वह लेटर उच्चतम न्यायालय में भिजवा दिया जिसमें यह लिखा गया है कि, एसएलपी वापस लेने के निर्णय को निरस्त किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर से अपने पलट गई है। पिछले चार दिन से चर्चा थी कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े अनुमति याचिका (एसएलपी) प्रकरण में सरकार ने कदम पीछे खींचे लिए हैं।

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अब शासन ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने संबंधी पत्र को निरस्त कर दिया है। सरकार ने इसी वर्ष सितंबर में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने के लिए पत्र लिखा था, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।

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