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उत्तराखण्ड

गोला नदी से सरकार को 185 करोड़ का मिला राजस्व,नहीं मिला मजदूरों का हक

सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा गोला नदी से भी सरकार को मिलता है लेकिन इस गोला नदी में काम करने वाले मजदूरों को कई बार उनका हक ही नहीं मिल पाता है बता दें कि
गौला में उपखनिज निकासी का सिलसिला गत शाम थम गया। इस बार करीब 185 करोड़ का राजस्व सरकार को मिला है। पिछले सत्र के मुकाबले इस बार 20 करोड़ का राजस्व ज्यादा मिला है। जिस वजह से वन विभाग व वन निगम दोनों में उत्साह है। लेकिन मजदूरों को उनका हक नहीं मिला है।पहले कड़कड़ाती सर्दी और फिर चिलचिलाती धूप में नदी में मेहनत करने वाले मजदूरों को उनका पूरा हक नहीं मिला। वन निगम की तरफ से इन्हें कंबल, सुरक्षा उपकरण के तौर पर जूते, टोपी, मास्क और पानी के लिए बोतल दी जाती थी। लेकिन सिर्फ कंबल के अलावा और कुछ नहीं मिला। पीने का पानी मुहैया कराने का दावा भी ज्यादातर गेटों पर हवाई निकला।गौला के शीशमहल से लेकर शांतिपुरी गेट तक 7500 वाहन उपखनिज निकासी करते हैं। अक्टूबर में धीरे-धीरे गेटों के खुलने का सिलसिला शुरू होने के साथ ही झारखंड, बिहार और यूपी से श्रमिक यहां पहुंचने लगते हैं।

हर साल करीब सात हजार मजदूर गौला में काम करते हैं। वन निगम इन श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करता है। किसी हादसे की स्थिति में पंजीकृत मजदूरों को मुआवजा भी मिलता है।इसके अलावा लेबर वेलफेयर फंड से कंबल समेत अन्य सुरक्षा उपकरण मुहैया कराये जाते हैं। लेकिन करोड़ों का राजस्व मिलने के बावजूद वन निगम ने इन मजदूरों की तरफ खास ध्यान नहीं दिया। डीएलएम गौला के मुताबिक मुख्यालय की संस्तुति के आधार पर ही राहत सामग्री दी जाती है।

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इस बार कंबल और जलौनी के अलावा अन्य सामान बांटने के निर्देश नहीं थे।शीशमहल में रहने वाले भोले कहते हैं कि सालों से गौला नदी में काम करने के लिए आते हैं। वन निगम के पास रजिस्ट्रेशन भी कराया। लेकिन कंबल के अलावा कुछ नहीं मिला। शीशमहल के ही निवासी श्रमिक पप्पू ने बताया कि वन निगम पहले काफी सामान देता था। लेकिन इस बार कंबल के अलावा कुछ नहीं मिला। पानी भी बाहर से खुद ढो कर लाना पड़ा था।हड़ताल न होती तो राजस्व और बढ़ता खनन सत्र 2019-20 में गौला से 129 करोड़ का राजस्व मिला था। 2020-21 में 165 करोड़ और इस बार 185 करोड़। उपखनिज की मात्रा बढऩे सरकार की आय भी बढ़ जाती है। इस साल साढ़े 38 लाख घनमीटर उपखनिज निकलना था। लेकिन 36.75 लाख घनमीटर ही निकला। जिस वजह से पौने दो लाख घनमीटर उपखनिज नदी में छूट गया। वाहनस्वामियों की हड़ताल फिर क्रशर संचालकों संग विवाद के कारण लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।

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