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उत्तराखण्ड

शराब में ट्रेटा की बिक्री पर रोक लगाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की सुनवाई

रिपोर्टर- भुवन ठठोला

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में प्रदूषण की बढ़ती हुई मात्रा को देखते हुए शराब के ट्रेटा पैक की बिक्री पर रोक लगाये जाने के खिलाफ दायर जनहीत याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने फिर से शराब की टेट्रा पैंको की बिक्री पर लगी रोक को अगली तिथि तक जारी रखा है। अब मामले की अगली सुनवाई आने वाले सोमवार को होगी। पिछली तिथि को कोर्ट ने सरकार की इस नीति पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वेस्ट के निवारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है। इस सम्बंध में राज्य सरकार ने आज अपना जवाब पेश किया। सरकार ने अपने शपथपत्र में कहा कि इस मामले को सरकार गम्भीरता से ले रही है। और उन्हें अपना पक्ष रखने का समय दिया जाय।

सरकार के प्लान के मुताबिक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया कि आने वाले चार धाम यात्रा में राज्य सरकार ने जैसे प्रदूषण के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक वाटर बॉटल व प्लास्टिक युक्त पैक समाग्री पर क्यू आर कोड लगा रही है उसी के तर्ज पर प्रत्येक ट्रेक्ट्रा पैक पर भी क्यूआर कोड लगाये जाएं । बिक्रेता ग्राहक से निर्धारित मूल्य से दस रुपये अधिक लें साथ मे यह भी शर्त रखें दस रुपये तभी वापस होंगे जब यह पैग उपयोग के बाद उन्हें वापस करेंगे। ताकि वे इस वेस्ट को सम्बंधित कम्पनियों ,नगर पालिकाओं व अन्य रिसाइकिलिंग सेंटरों में भेज सकें। क्यूआरकोड नही होने से सभी उपभोक्ता वेस्ट को जहाँ तहां प्रदेश के किसी कोने में फेंक देते है। जिसकी वजह से पर्यावरण काफी को नुकसान हो रहा है। पर्यावरण को बचाने का यही सबसे बड़ा उपाय है। प्रदेश में प्रति वर्ष 10 करोड़ ट्रेक्ट्रा पैकों को की खपत है। जिसको आज तक नही उठाया गया।

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मामले के चंपावत निवासी याचिकाकर्ता नरेश चन्द्र की ओर से दायर जनहीत याचिका में कहा गया कि सरकार की नयी आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200 एम.एल.के पैक को ट्रेटा पैक में बेचने की योजना है। ये सरकार के प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है। इसकी वजह से पर्यवारण को भारी नुकसान होगा। याचिकाकर्ता की ओर से इसपर रोक लगाने की मांग की गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया की सरकार एक ओर प्लास्टिक कूड़े पर रोक नहीं लगा पा रही है। दूसरी तरफ टेट्रा पैकों में इसे बेचने की अनुमति भी दे रही है, जिसकी वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा।

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