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हाईकोर्ट का फैसला- जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी को मिला चुनाव लड़ने का अधिकार, नामांकन निरस्त करने पर रोक

मीनाक्षी

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायत चुनाव से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक की लामकाण्डे-भुत्सी सीट से जिला पंचायत सदस्य पद की उम्मीदवार सीता देवी का नामांकन रद्द करने को कोर्ट ने गलत ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सीता देवी को चुनाव लड़ने की अनुमति देते हुए निर्वाचन अधिकारी को चुनाव चिह्न आवंटन और नामांकन पत्र में नाम शामिल करने के निर्देश दिए हैं।सीता देवी का नामांकन उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सरिता की शिकायत पर रद्द कर दिया गया था। आरोप था कि सीता द्वारा दिया गया सहकारी समिति का नो ड्यूस प्रमाणपत्र फर्जी है। सीता ने अदालत में इसका जवाब देते हुए दूसरा प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया और बताया कि स्वयं समिति ने दोनों प्रमाणपत्रों को सही बताया है, इसके बावजूद उनका नामांकन खारिज किया गया।याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिजय नेगी ने अदालत में दलील दी कि निर्वाचन अधिकारी ने बिना उचित जांच और विशेषज्ञ की राय के ही प्रमाणपत्र को फर्जी करार दिया, जो पूरी तरह अवैध है। कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए ई-मेल के माध्यम से रिपोर्ट मंगवाई और दस्तावेजों की गहन जांच के बाद फैसला सुनाया।कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने टेलीफोन पर भी वरिष्ठ अधिकारी से राय लेने की कोशिश नहीं की। यह प्रतीत होता है कि अधिकारी ने जानबूझकर एकतरफा फैसला लेते हुए दूसरे उम्मीदवार को लाभ पहुंचाने की नीयत से काम किया। यह प्रक्रिया कानूनन पूरी तरह अवैध है.सीता देवी का नाम अब मतपत्र में शामिल किया जाएगा और चुनाव चिन्ह भी आवंटित होगा। इससे पहले सरिता अकेली उम्मीदवार बची थीं, जिससे वहां निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति बन रही थी, लेकिन अब वास्तविक चुनाव होगा।

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